रेलवे कर्मचारियों को बच्चों की ट्यूशन फीस लेने के लिए अब स्कूल या कालेज से प्रमाण पत्र लाकर नहीं देना होगा।कर्मचारी के प्रमाण पत्र पर ही अब रेलवे ट्यूशन फीस का भुगतान कर देगा। रेलवे बोर्ड के इस फैसलेे के बाद देश के रेल कर्मियों को कोरोना काल में लटकी ट्यूशन फीस मिल जाएगी। 

रेलवे के नियम के अनुसार रेल कर्मचारी के दो बच्चों को पढ़ाई के लिए रेलवे प्रत्येक साल हर बच्चे के हिसाब से 27 हजार रुपये की ट्यूशन फीस व अन्य खर्च के लिए भुगतान करता है। इसके लिए कर्मचारी के बच्चों को स्कूल या कालेज के प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक से नियमित पढ़ने का प्रमाण लेना पड़ता है। रेलवे कर्मचारी प्रमाण पत्र अपने आफिस में जमा करता है, उसके बाद रेल प्रशासन साल भर का एक साथ भुगतान करता है।

मार्च 2020 में कोरोना की प्रथम लहर शुरू हुई थी। जिसके बाद से स्कूल व कालेज बंद कर दिए गए। मार्च 2021 से कोरोना का दूसरी लहर शुरू हो गई थी। इसके कारण अभी स्कूल कालेज नहीं खुले हैं। स्कूल कालेज प्रबंधन आनलाइन छात्रों की पढ़ाई करा रहा है और ट्यूशन फीस जमा करा रहा है। पढ़ाई के लिए बच्चों को किताब, कापी खरीदना पड़ा है। स्कूल कालेज बंद होने से रेलवे कर्मचारी बच्चे की ट्यूशन लेने के लिए प्रमाण पत्र नहीं ले पाए हैंं। जिसके चलते दो साल से ट्यूशन फीस नहीं मिल पाई है। जिससे देश भर के रेलवे कर्मचारी परेशान हैंं। मुरादाबाद मंडल में आठ हजार कर्मचारियों के बच्चों को ट्यूशन फीस नहीं मिली है।

रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर (वेल्फेयर) आशुतोष गर्ग ने 12 अगस्त को पत्र जारी किया है, जिसमें कहा कि कोरोना संक्रमण के समय की ट्यूशन फीस लेने के लिए रेल कर्मचारी दोनों बच्चों के पढ़ने का प्रमाण पत्र देंगे और रेल प्रशासन ट्यूशन फीस का भुगतान कर देगा। आल इंडिया रेलवेज मैन फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया की फेडरेशन के मांग पर रेलवे बोर्ड ने यह आदेश जारी किया है।