पटना हाईकोर्ट ने मृत रेल कर्मी की दूसरी पत्नी के बच्चे को अनुकंपा पर नौकरी देने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने रेलवे बोर्ड की ओर से जारी सर्कुलर 21 मार्च 2018  को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने ईस्ट सेंट्रल रेलवे, हाजीपुर के जीएम को दूसरी पत्नी के बच्चे को अनुकंपा पर बहाली करने के लिए कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया है। 

न्यायमूर्ति विकास जैन तथा न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण की खंडपीठ ने मृतक रेलवे कर्मी की पत्नी त्रिवेणी देवी तथा रंजना कुमारी की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। आवेदिका के वकील एमपी दीक्षित का कहना था कि रेलवे में गेटमैन के पद पर कार्यरत कर्मी धर्मानंद झा की मृत्यु 28 जनवरी 2007 को हो गई थी। मृत्यु के बाद अनुकंपा पर बहाली के लिए दूसरी पत्नी के पुत्र बाबू झा ने रेलवे को आवेदन दिया। लंबा समय बीतने के बावजूद रेलवे ने उनके आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं की। थक-हार कर पटना स्थित केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट) में अर्जी दायर की। 

कैट पटना बेंच ने 26 अप्रैल 2019 को उनके अर्जी को खारिज कर दिया। कैट बेंच के आदेश को पटना हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर चुनौती दी गई। दीक्षित का कहना था कि हाईकोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी पत्नी के बच्चे को वैध करार देते हुए उन्हें अनुकंपा पर बहाली करने का आदेश दिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज कर रेलवे ने कई हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए 21 मार्च 2018 को एक सर्कुलर जारी कर दूसरी पत्नी के बच्चे को अनुकम्पा पर बहाली नहीं करने का निर्देश सभी रेलवे जीएम को दिया। उनका कहना था कि मृतक कर्मी की मृत्यु 2007 में ही हो गई। जिसके बाद से अभी तक उनके बच्चे को अनुकंपा पर बहाली नहीं किया गया। 

वहीं रेलवे की ओर से कोर्ट को बताया गया कि रेलवे के 2018 के सर्कुलर के तहत दूसरी पत्नी के बच्चे को अनुकंपा पर बहाली नहीं की जा सकती है। उनका कहना था कि अनुकंपा पर बहाली मृत कर्मी के परिजन को आर्थिक तंगी से बचाने के उद्देश्य से किया जाता है लेकिन इस केस में काफी लंबा समय बीत जाने के बाद अनुकंपा पर बहाली करना न्यायसंगत नहीं होगा। उन्होंने अर्जी को खारिज करने की मांग अदालत से की। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि रेलवे दूसरी पत्नी के बच्चे को अनुकंपा पर बहाली करने से इनकार नहीं कर सकता है। 

कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 16 के तहत दूसरी पत्नी के बच्चे जायज होते हैं। कोर्ट ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट तथा देश के कई अन्य हाईकोर्ट यहां तक कि पटना हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने जब दूसरी पत्नी के बच्चे को जायज ठहराते हुए अनुकंपा पर बहाली करने का आदेश दिया है तो फिर रेलवे बोर्ड 2018 में ऐसा सर्कुलर कैसे जारी कर सकता है। कोर्ट ने 2018 सर्कुलर को निरस्त करते हुए ईस्ट सेंट्रल रेलवे हाजीपुर के जीएम को दूसरी पत्नी के बच्चे को अनुकंपा पर बहाली करने के बारे में कार्रवाई करने का आदेश दिया है। साथ ही अर्जी को मंजूर कर लिया।