रेलवे को निजी हाथों में जाने से बचाएं
एक वर्ग का मानना है कि रेलवे घाटे में चल रही है। इसका निजीकरण कर देना चाहिए। जहां सेवा का भाव हो, वहां पर घाटा या मुनाफा नहीं देखा जाना चाहिए। निजीकरण के बाद रेल के किराए में सुविधाओं के नाम पर बढ़ोतरी होगी, जिससे गरीबों ही नहीं मध्यम वर्ग के बड़े तबके को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। रेलवे एक बहुत बड़ा रोजगार और सार्वजनिक परिवहन का क्षेत्र है। हर भारतीय का कर्तव्य है कि रेलवे को निजी हाथों में जाने से बचाएं।
-दीनदयाल कुमावत, सीकर

पूंजीपतियों को ही होगा फायदा
केंद्र सरकार को रेलवे का निजीकरण नहीं करना चाहिए। निजीकरण से बड़े उद्योगपतियों व पूंजीपतियों को ही लाभ होगा। सरकार को रेलवे का निजीकरण न करके उसे अपने पास ही रखना चाहिए। यात्री सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए और सभी रेलवे जोन में डबल डेकर यात्री ट्रेन शुरू करना चाहिए। साथ ही सभी ट्रेनों में जनरल कोचों की संख्या बढ़ानी चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

रेलवे का निजीकरण उचित नहीं
सार्वजनिक परिवहन के रूप में आम जनता के लिए रेलवे महत्त्वपूर्ण साधन है। इसका निजीकरण करना देश के लिए फायदेमंद नहीं है। बेहतर यह है कि आमदनी बढ़ाने के लिए रेलवे की अनुपयोगी संपत्ति का व्यावसायिक उपयोग किया जाए। जनभागीदारी भी की जाए और रेलवे सेवा को बेहतर किया जाए।
-हरिप्रसाद चौरसिया, देवास, मध्यप्रदेश

बढ़ेगी बेरोजगारी
रेलवे बहुत बड़ा विभाग है जिस पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनगिनत छोटे उद्योग और व्यवसाई निर्भर हैं। रेलवे का निजीकरण इन छोटे क्षेत्रों को निश्चित रूप से प्रभावित करेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी। निजीकरण ना करके रेलवे की व्यवस्था में सुधार किया जाए, तो बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
—मनोज जैन, टोंक

छिन जाएंगी नौकरियां
रेलवे का निजीकरण सही नहीं है। ऐसा करने से रेल से जुड़े सभी काम महंगे हो जाएंगे। कई कर्मचारियों की नौकरी छिन जाएगी और जो बच जाएंगे उनका शोषण होगा। रेलवे सरकार का अहम हिस्सा है। भारत में सबसे ज्यादा नौकरियां इसी विभाग से निकलती हैं। निजीकरण आम जनता के पेट पर लात मारने जैसा होगा।
– अंजलि राठी, बीकानेर

यात्रा हो जाएगी महंगी
यदि हमें अच्छी सुविधाएं चाहिए और आनंददायक सफर करना है तो रेलवे का निजीकरण जरूरी है। हां, इसके लिए अधिक शुल्क देना होगा, क्योंकि निजी क्षेत्र घाटे का सौदा नहीं करते। निजी बसों के संचालन में ये बात स्पष्ट दिखाई देती है। वे अच्छी सुविधाएं देते हैं, तो शुल्क भी अधिक लेते हैं।
-राजेश सराफ, जबलपुर

कुशल कर्मचारियों को रखा जाए
भारतीय रेलवे का निजीकरण नहीं होना चाहिए। इसकी बजाय डबल स्किल प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगारों को रेलवे में समायोजित किया जाए। इससे रेलवे को अच्छे प्रशिक्षित कर्मचारी मिलेंगे तथा रेल मंत्रालय का काम भी ठीक होगा, जिससे रेलवे की आय भी बढ़ेगी।
-विनोद कुमार बडगुजर, बूंदी

सरकार का भार कम होगा
रेलवे के निजीकरण से सरकार का भार कम होगा और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी । कर्मचारियों की मुस्तैदी के कारण यात्रियों को सुविधाएं भी अच्छी मिलेंगी, यद्यपि भाडा अधिक हो सकता है। यही नहीं, दुर्घटनाएं भी होंगी। बेटिकट यात्रियों पर भी रोक लगेगी ।
-सीताराम गुप्ता, मानसरोवर, जयपुर
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निजीकरण की चलती बयार
इन दिनों देश में निजीकरण की हवा चल रही है। व्यवस्था में ढील-पोल और मनमर्जी के चलते जनता भी त्रस्त है। ऐसे में निजीकरण की बात जायज जरूर लगती है, मगर उसका भार क्या लोग सह पाएंगे, यह सोचने वाली बात है। निजीकरण काफी महंगाई लेकर आता है। रेलों को लेकर अगर सरकार ने निजीकरण की सोच बनाई है, तो वह उसे त्याग दे और व्यवस्था में कसावट लाए। व्यवस्था में कुशलता और पारदर्शिता से सरकारी उद्योगों को घाटे से उबारा जा सकता है।
-अमृतलाल मारू, धार, मध्यप्रदेश
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जाएगा गलत संदेश
देश में सबसे ज्यादा सरकारी रोजगार देने वाली संस्था रेलवे का निजीकरण करना अनुचित है। इससे सरकारी रोजगार के अवसर तो कम होंगे ही साथ ही साथ लोगों में गलत संदेश जाएगा।
-डॉ. आर. डी. सागर, जोधपुर
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समाधान खोजे सरकार
बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए युवाओं को रोजगार देना देश की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। जिन वजह से रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है, उन सब परेशानियों को सरकार अपने दम पर भी तो ठीक कर सकती है। जरूरी नहीं है कि समस्याओं का हल केवल निजीकरण ही हो।
-इन्द्राज खोडा, जयपुर