रेलवे क्वार्टर पर कब्जा करने और अपने नाम से आवंटित रेल आवास को दूसरे को किराए पर देने के मामले में पिछले तीन महीने से हंगामे की स्थिति बनी हुई है। अब इस मामले में लगातार बढ़ रहे दबाव के बाद पूर्व मध्य रेल महाप्रबंधक ने सुदूर क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को राहत देने का ऐलान कर दिया है।

रेलवे क्वार्टर पर कब्जा करने और अपने नाम से आवंटित रेल आवास को दूसरे को किराए पर देने के मामले में पिछले तीन महीने से हंगामे की स्थिति बनी हुई है। इस मामले में लगभग डेढ़ सौ कर्मचारी निलंबित भी किए जा चुके हैं। रेलवे कब्जे वाले क्वार्टरों को खाली कराने को लेकर मुहिम चला रही है। डीआरएम खुद इसकी मॉनिटरिग कर रहे हैं। पूर्व मध्य रेल मुख्यालय के अधिकारी भी रेल आवास किराए को लेकर संजीदा हैं। इस मामले में लगातार बढ़ रहे दबाव के बाद पूर्व मध्य रेल महाप्रबंधक ने सुदूर क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को राहत देने का ऐलान कर दिया है।

मुख्यालय से आदेश जारी हो चुका है कि सुदूर क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को उनके पुराने आवास रखने की अनुमति दी जाएगी। मुख्यालय से जारी दिशा निर्देश के बाद धनबाद रेल मंडल के कार्मिक विभाग में भी धनबाद डिवीजन के कर्मचारियों के लिए आवास संबंधी आदेश जारी कर दिया है। कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि धनबाद रेल मंडल के सिर्फ आठ ऐसे स्टेशन हैं जिन्हें सुदूर क्षेत्र का स्टेशन माना गया है और उन स्टेशनों में स्थानांतरित या पदस्थापित कर्मचारियों को ही पुराने आवास रखने की अनुमति मिलेगी। पुराने आवास रखने वाले कर्मचारियों को उन आवासों के बदले में तय किराया भी चुकाना होगा। रेलवे इसके लिए किसी भी कर्मचारी को एचआरए यानी आवास भत्ता का भुगतान भी नहीं करेगी।

सिर्फ इन स्टेशन पर स्थानांतरित या पदस्थापित कर्मचारियों को अनुमति – महादया, सिगरौली, कृष्णशिला, शक्तिनगर, बालूमाथ, बुकरू, फुलबसिया और शिवपुर।

” रेलवे कर्मचारियों की सुविधा के लिए उठाया गया सकारात्मक कदम है। इससे कर्मचारियों के बच्चे और उनके परिवार को कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा।” संतोष तिवारी, पूर्व सहायक महामंत्री/ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन