कानपुर के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस में मिले ट्रॉली बैग में 1.40 करोड़ रुपये निकले थे। जीआरपी ने आयकर विभाग को सूचना दी थी जिसके कई दिन बाद गाजियाबाद की एक कंपनी ने रुपयों पर दावा किया है।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पेंट्रीकार में मिले 1.40 करोड़ रुपयों से भरे बैग मामले में अब नई कहानी सामने आई है। तेजी से वायरल हो रहे ऑडियो से पता चला है कि बैग ऐशबाग लखनऊ में उतारने के लिए एक रेलकर्मी को जिम्मेदारी दी गई थी। उसने जब पेंट्रीकार के मैनेजर को फोन किया तो पता चला कि बैग सेंट्रल स्टेशन पर पहले ही उतारा जा चुका है। हालांकि, दैनिक जागरण ऐसे किसी ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है।

मंगलवार को इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे ऑडियो को लेकर कहा जा रहा है कि वह पेंट्रीकार के मैनेजर और लखनऊ में तैनात एक रेलवे कर्मचारी के बीच बातचीत का है। ऑडियो के मुताबिक, सुबह करीब चार बजे पेंट्रीकार के मैनेजर को लखनऊ के ऐशबाग में तैनात रेलवे कर्मी रंजीत ने फोन किया। नींद में पहले तो रंजन को कुछ समझ नहीं आया, बाद में रेलवे कर्मचारी ने ट्रेन नंबर का जिक्र करते हुए कहा तुम इस ट्रेन से आ रहे हो न। कर्मचारी का मतलब वैशाली एक्सप्रेस से था। फिर उसने कहा तुम्हारे पर बैग है। बैग को लखनऊ के ऐशबाग में उतरना है। बैग रखा है न। इस पर रंजन ने बैग देखने की बात कहते हुए बताया कि उसे तो कानपुर सेंट्रल पर उतारने को कहा गया था।

वहां एक कर्मचारी आया तो उसे बैग दे दिया। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, गुत्थी सुलझने की बजाय उलझती जा रही है। किसी ने बहुत शातिर तरीके से रुपयों को इधर से उधर करने का खेल खेला है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली से जयनगर जा रही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस के पेंट्रीकार में मैनेजर रंजन को दिल्ली के पहाडग़ंज में काला कोट पहने रेलवे कर्मचारी ने बैग यह कहकर दिया था कि इसे कानपुर में उतार लिया जाएगा। 15 फरवरी की आधी रात जब ट्रेन सेंट्रल पहुंची तो डिप्टी एसएस कामर्शियल को रेलवे इंटरकॉम पर फोन करके दूसरी तरफ से बताया गया कि ट्रेन पहुंचने बैग उतार लें। रेलवे अफसर का फोन समझकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बैग लेने के लिए भेजा था। उसमें 1.40 करोड़ रुपये निकले थे।

ये भी हैं सवाल

  • -जब पैसा लखनऊ में उतारने के लिए किसी को पहले ही जिम्मेदारी दे दी गई थी तो फिर रेलवे के फोन नंबरों पर एक के बाद एक फोन करके बैग उतारने के लिए क्यों कहा गया।
  • -रुपये आयकर विभाग द्वारा जमा कराने के बाद गाजियाबाद की एक कंपनी का सामने आकर दावा करना, जो आपस में विरोधाभासी हैं।
  • -रेलवे अधिकारी भी मानते हैं कि ये बातें गले नहीं उतर रही हैं। विवेचना के बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी होगा।