कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर हो रहे किसान आंदोलन में एक बार फिर से 18 फरवरी को रेल रोकने का ऐलान किया गया है। जिससे रेल अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। रेल पटरी को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ आजीवन कारावास तक का प्रावधान होने के बावजूद सख्ती नहीं हो पाती है। इस वजह से रेलवे यात्रियों को परेशान करने व रेलवे संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला भी नहीं थम रहा है। हालांकि बरेली सेक्शन में आरपीएफ व जीआरपी ने रेलवे ट्रैक की गस्त बढ़ा दी है।

रेल रोकने पर हो सकती है दो साल की सजा जंक्शन आरपीएफ निरीक्षक विपिन शिशौदिया ने बताया कि रेल रोको आंदोलन के नाम पर या फिर रेल परिचालन में किसी तरह की बाधा डालने वालों के खिलाफ रेलवे अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई का प्रविधान है। धारा 174 के तहत रेलवे ट्रैक पर बैठकर या अवरोधक लगाकर, रेल के होजपाइप से छेड़छाड़ करके या सिग्नल को नुकसान पहुंचाकर ट्रेन परिचालन बाधित करने वालों को दो वर्ष की जेल की सजा या दो हजार रुपये जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है।

बिना अनुमति घूमने पर भी है सजा का प्रावधान निरीक्षक ने बताया कि रेलवे कर्मचारियों के काम में बाधा डालने, रेल या उसके किसी भाग में अवैध रूप से प्रवेश करने पर धारा 146 व 147 छह माह की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है। पटरी पार करने पर रेलवे एक्ट की धारा 147 के तहत कार्रवाई की जाती है।

रेलवे ट्रैक को नुकसान पहुंचा तो आजीवन कारावास ट्रेन के ऊपर लकड़ी का कोई सामान, पत्थर या अन्य सामान फेंकने पर, रेल की पटरी को नुकसान पहुंचाने वालों को धारा 150 के तहत आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।

बरेली में क्रासिंग के फाटक तोड़ने की घटनाएं अधिक आरपीएफ जंक्शन के रिकार्ड की बात करें तो यहां दर्ज मामलों में सबसे अधिक मुकदमें रेलवे क्रासिंग के गेट तोड़ने के हैं। पिछले वर्ष इनकी संख्या 25 तो इस बार अभी तक छह मुकदमें दर्ज हो चुके हैं। यह मुकदमें बिलपुर की हुलासनगरा क्रासिंग, लालफाटक के मामले हैं। इसमें रेलवे एक्ट की धारा 160 के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें पांच साल की सजा व 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।