रेल बजट के आम बजट के साथ विलय के बाद इस साल रेल मंत्रालय को मिले आवंटन में उत्तर प्रदेश को अपने राज्य में विभिन्न परियोजनाओं के लिए 12696 करोड़ रुपये मिले हैं। पिछली संप्रग सरकार 2009-14 के पांच साल की तुलना में यह एक साल का आवंटन 1045 फीसदी ज्यादा है। हालांकि इस तुलनात्मक अवधि में सबसे ज्यादा 2270 फीसदी आवंटन उत्तराखंड को मिला है। बिहार को 355 फीसद, दिल्ली को 223 फीसदी, व झारखंड को 793 फीसदी ज्यादा आवंटन मिला है।

रेल मंत्रालय ने आम बजट 2020-21 के बजट में मिले आवंटन का ब्यौरा देते हुए कहा है कि इस साल रेल मंत्रालय को जो बजट दिया गया है वह संप्रग दो सरकार (2009-14) के पांच सालों से कई गुना ज्यादा है। मंत्रालय ने हर राज्य के हिस्से में आए आवंटन को जारी करते हुए कहा है कि रेलवे परियोजनाओं के लिए उत्तर प्रदेश को 2009-14 के पांच सालों मे 1109 करोड़ रुपये मिले थे, जबकि इस अकेले साल में उसे 12696 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इससे राज्य में 7143 किमी लंबी 96697 करोड़ रुपये की लागत वाली नई रेल लाइन, आमान परिवर्तन व दोहरीकरण की 83 परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जाएगा। 

उत्तराखंड में नई लाइनों के काम में आएगी तेजी : 
संप्रग दो सरकार के पांच सालों व इस साल के तुलनात्मक आवंटन में सबसे ज्यादा वृद्धि उत्तराखंड को मिली है। उसे 2009-14 के बीच 187 करोड़ रुपये मिले थे, जबकि इस साल उसे 4432 करोड़ रुपये मिले हैं जो 2270 फीसदी ज्यादा हैं। इससे सबसे ज्यादा काम नई लाइनों के निर्माण पर होगा। इनमें चार नई रेल लाइन, व दोहरीकरण की 243 किमी लंबी 18901 करोड़ रुपये लागत वाली परियोजनाएं शामिल हैं।

बिहार और झारखंड को भी ज्यादा का आवंटन :  
रेल के बजट में बिहार को 5150 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। जबकि उसे 2009-14 के बीच 1132 करोड़ रुपये ही मिल थे। यह वृद्धि 355 फीसदी ज्यादा है। इससे राज्य में 57 नई लाइन, आमान परिवर्तन व दोहरीकरण की 74880 करोड़ रुपये लागत वाली 5267 किमी लंबी लाइनों पर काम किया जाएगा। झारखंड की रेल परियोजनाओं के लिए इस साल के बजट में 4079 करोड़ रुपये हैं, जो 2009-14 के पांच सालों में मिले 457 करोड़ रुपये की तुलना में 793 फीसदी ज्यादा है। इससे राज्य में 36 नई लाइन, आमान परिवर्तन, दोहरीकरण की 43957 करोड़ रुपये लागत वाली 2906 किमी लंबी लाइनों पर काम को आगे बढ़ाया जाएगा।

दिल्ली की परियोजनाओं को मिलेगी गति :
दिल्ली की रेल परियोजनाओं के लिए इस साल 310 करोड़ रुपये मिले हैं,जबकि उसे 2009-14 के बीच 96 करोड़ रुपये ही मिले थे। यह 223 फीसदी ज्यादा है। इससे नई लाइन व दोहरीकरण की 3527 करोड़ रुपये लागत वाली 302 किमी लंबी चार परियोजनाओं पर काम किया जाएगा।