इज्जतनगर रेल मंडल अपनी खाली जमीन कर्मचारियों को लीज पर देकर किसानी कराएगा। इससे कर्मचारियों के साथ रेलवे की आय भी बढ़ेगी। यह कार्य ग्रो मोर फूड योजना के तहत किया जाना है। इसके तहत रेलवे अपने गैंगमैन, ट्रैकमैन, कीमैन जैसे छोटे पदों पर तैनात कर्मचारियों को जमीन लीज पर देगा। इससे जमीन पर कब्जा होने की संभावना भी नहीं होगी। मंडल के पास करीबन 180 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है, जो ट्रैक किनारे खाली पड़ी है।

आरएलडीए ने तैयार किया था प्रोजेक्ट रेलवे लैंड डवलपमेंट अथॉरिटी (आरएलडीए) ने इस प्रोजेक्ट को तैयार किया था। शहरी क्षेत्र में रेल की खाली जमीनों पर कामर्शियल बिल्डिंग बनाने का फैसला हुआ। जबकि रेलवे ट्रैक के किनारे खाली जमीन में खेती-किसानी से कमाई करने पर सहमति बनी। सर्वे के दौरान सीबीगंज में ही करीब आठ से नौ एकड़ रेल की जमीन मिली।

एनईआर के नाम खेती का रिकार्ड  पंडित लाल बहादुर शास्त्री द्वारा 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान जय जवान-जय किसान का नारा दिया था। इसके बाद से पूवरेत्तर रेलवे गोरखपुर में रेल अफसरों के बंगलों और रेलवे की खाली पड़ी जमीनों में गेहूं और आलू की फसल की गई थी। इसमें मजदूर नहीं बल्कि कर्मचारी और अफसर ही खेती के काम करते थे।

रेल राजस्व बढ़ाने के लिए ट्रैक किनारे की खाली जमीन रेलवे कर्मचारियों को खेती के लिए आवंटित की गई है। इससे कर्मचारियों की भी आय बढ़ेगी। – राजेंद्र सिंह, जनसंपर्क अधिकारी