कोरोना काल (Covid 19) में लगाए गए लॉकडाउन (Lock Down) के दौरान भारतीय रेलवे (Indian Railways) की पैसेंजर सेवाओं के बंद रहने का असर केवल यात्रियों पर नहीं पड़ा, बल्कि रेलवे कर्मचारी (Railway Employees) भी इससे वित्‍तीय रूप से काफी प्रभावित हुए. खास तौर पर भारतीय रेलवे का रनिंग स्‍टाफ. पैसेंजर ट्रेनों (Passenger Trains) के न चलने से रनिंग स्‍टाफ को मिलने वाला ALK यानी किलोमीटर के बदले भत्ता रुक गया, जिसका भुगतान किए जाने को लेकर अब रेलवे बोर्ड पर दबाव बन रहा है.

लिहाजा, रेलवे बोर्ड (Railway Board) ने इस मसले पर गंभीरता से संज्ञान लिया है और सभी जोन के महाप्रबंधकों से ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ पर रेलवे रनिंग स्‍टाफ को द‍िए गए ALK के बारे में विस्‍तृत जानकारी साझा करने को कहा है. रेलवे बोर्ड के इस कदम से रनिंग स्‍टाफ के रुके हुए भत्‍ते के जल्‍द जारी होने की उम्‍मीद बढ़ गई है. रेलवे कर्मचारी की बेसिक के 30 प्रतिशत के रूप में ALK का भुगतान किया जाता है.

करीब 1 लाख 22 हजार कर्मचारी रनिंग स्‍टाफ के दायरे में
बता दें कि भारतीय रेलवे के करीब 1 लाख 22 हजार कर्मचारी रनिंग स्‍टाफ के दायरे में आते हैं. इनमें करीब 86 हजार लोको पायलट एवं अस‍िस्‍टेंट लोको पायलट, जबकि 36 हजार गार्डस शामिल हैं.

सभी 17 जोन के महाप्रबंधकों को आदेश जारी
रेलवे बोर्ड की तरफ से जारी एक आदेश में सभी 17 जोन के महाप्रबंधकों को कहा गया है कि Covid 19 के दौरान पैसेंजर ट्रेनों के कैंसिल रहने के कारण रनिंग ड्यूटी नहीं कर पाए रनिंग स्‍टाफ को किलोमीटर के बदले भत्ते (ALK) के भुगतान को लेकर कई जोनल रेलवे और फेडरेशन की तरफ से जानकारियां मांगी गई हैं. बोर्ड की तरफ से इस मामले की जांच की गई है.

भुगतान के ब्रेकअप की डिटेल भेजने को कहा गया
इसके साथ ही सभी महाप्रबंधकों से ALK के किए गए भुगतान के बारे में भी जानकारी मांगी गई हैं, जिसमें कहा गया है कि अगर इस संबंध में भुगतान किया गया है तो मार्च 2020 से नवंबर 2020 तक का प्रत्‍येक माह का ब्रेकअप रेलवे बोर्ड को 28 दिसंबर तक उपलब्‍ध कराया जाए, ताकि मामले में आगे की कार्रवाई की जा सके. साथ ही इस मामले को टॉप प्रायोरिटी पर लिए जाने के आदेश भी दिए गए हैं.

लॉकडाउन में रनिंग स्‍टाफ काम नहीं कर पाया तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं- शिवगोपाल मिश्रा
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन और नॉर्दन रेलवे मेंस यूनियन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने News18 हिंदी से बातचीत में कहा कि रेल यूनियनों की तरफ से रेलवे बोर्ड के समक्ष यह मामला गंभीरता से उठाया गया है. उनका कहना है कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान ट्रेनें नहीं चलाई गईं. इसके चलते रनिंग स्‍टाफ काम नहीं कर पाया तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं है. हालांकि बाद में श्रमिक ट्रेनें, स्‍पेशल ट्रेनें भी चलाई गईं, जिनमें रनिंग स्‍टाफ ने बखूबी काम किया. लॉकडाउन के दौरान मालगाड़ियां ज्‍यादा चलाई गईं, जिनमें स्‍टाफ ने काम किया. लिहाजा, बोर्ड के समक्ष यह बात उठाई गई है कि रनिंग स्‍टाफ के एएलके का जल्‍द से जल्‍द भुगतान किया जाए.