रेलवे ने अपने कर्मचारियों को यात्रा के लिए ई-पास की सुविधा शुरू की है। एक नवंबर से सिर्फ ई-पास ही प्रयोग में है, पहले की तरह कागज वाले पास अब जारी नहीं किए जा रहे हैं। इसके जरिये आरक्षित व अनारक्षित, दोनों तरह की टिकट कर्मचारी ले सकेंगे। इस बदलाव से कई कर्मचारी और सेवानिवृत्त कर्मचारी परेशान हैं। उनकी शिकायत है कि उन्हें पास के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कर्मचारी संगठन ने भी इस परेशानी को दूर करने की मांग की है।

रेलवे फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमेन ने रेलवे बोर्ड को इस संबंध में पत्र लिखा है। फेडरेशन के सह सचिव बीसी शर्मा का कहना है कि नए आदेश से शहरों से दूर छोटे रेलवे स्टेशनों पर काम करने वाले या फिर वहां से जुड़े कर्मचारियों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों को परेशानी हो रही है। इंटरनेट की समस्या से भी उन्हें इस सेवा को हासिल करने में दिक्कत हो रही है। इसी के साथ कई लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि कई स्थानों पर कंप्यूटर में अबतक पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं होने से भी कर्मचारियों को परेशानी हो रही है। फेडरेशन के प्रवक्ता एसएन मलिक का कहना है कि ई-पास के साथ ही कागज वाले पास भी जारी किए जाने चाहिए जिससे कि लोगों की परेशानी दूर हो सके।

वहीं, उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार का कहना है कि कर्मचारियों की सुविधा के लिए यह व्यवस्था की गई है। यदि किसी तरह की कोई समस्या है तो वह दूर की जाएगी।

रेल कर्मियों को मिलने वाला यात्रा पास

राजपत्रित अधिकारियों को एक साल में छह और सेवानिवृत्त होने पर तीन पास मिलते हैं। इस पास से वह एवं उनके आश्रित मुफ्त रेल सफर कर सकते हैं। गैर राजपत्रित कर्मचारियों को साल में तीन व सेवानिवृत्त होने पर दो पास दिए जाते हैं। बता दें कि रेल कर्मियों को चार पीटीओ (प्रिविलेज टिकट ऑर्डर) भी मिलता है। पीटीओ से सफर करने के लिए एक तिहाई किराया देना पड़ता है।