रेलवे में निजीकरण के विरोध में एक बार फिर आर-पार की लड़ाई की तैयारी है। रेल कर्मी बड़े आंदोलन के हिस्सा बनने को तैयार है। देश भर की यूनियनें सरकार के इस फैसले के विरोध में एक जुट हो गई है। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी फॉर रेलवेमेन स्ट्रगल से जुड़े 19 रेल कर्मचारी यूनियन और एसोसिएशन एनसीसीआरएस का जल्द हिस्सा बनेंगी। 

एनसीसीआरएस के गठन की औपचारिक घोषणा के साथ रेलवे निजीकरण के खिलाफ हड़ताल की रूपरेखा भी तय होगी। उक्त बातें ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के केंद्रीय महामंत्री शिवगोपाल मिश्र ने गुरुवार को चारबाग में एनआरएमयू के मंडल कार्यालय सभागार में आयोजित एक विचार गोष्ठी में भावी आंदोलन के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड ने वर्ष 2023 तक पांच फीसदी रेल खंडों पर तेज रफ्तार वाली ट्रेनें चलाने की घोषणा की है। ऐसे में निजीकरण का कोई मतलब नहीं है। इस मौके पर एनआरएमयू के मंडल मंत्री आरके पांडेय, एसयू शाह, मनोज श्रीवास्तव सहित कई पदाधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे। 

22 हजार ट्रेनों से चलते है रोजाना ढाई करोड़ यात्री

भारत में एक औसत के मुताबिक 22 हजार से अधिक ट्रेनों से रोजाना करीब ढाई करोड़ यात्री एक दिन में सस्ते किराये पर सफर करते है। रेलवे के ही रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले साल 8.5 करोड़ यात्री प्रतीक्षा सूची में रह गए थे। ऐसे में रेलवे में निजीकरण आम रेल यात्रियों पर भारी पड़ेगी।