रेलकर्मियों के वेतन से रात्रि भत्ता की राशि कटेगी। अक्तूबर के वेतन से भत्ता राशि काटने का आदेश हुआ है, जो एक जुलाई 2017 से प्रभावी होगा। इससे रात में ड्यूटी करने वाले रेलकर्मी आक्रोशित हैं।

रेलवे के नए आदेश से टाटानगर-आदित्यपुर और चक्रधरपुर मंडल के 32 सौ से ज्यादा रेलकर्मी प्रभावित होंगे। रात्रि भत्ता कटौती के विरोध में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे ने रेलवे बोर्ड में पत्र देकर आदेश वापस लेने की मांग उठाई है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अभी रेलवे में लोको पायलट, गार्ड, स्टेशन मास्टर और ट्रेन ड्यूटी निरीक्षक को ज्यादातर रात्रि भत्ता मिलता है। रात्रि ड्यूटी का 42 सौ ग्रेड पर रेलकर्मियों को 99 रुपये देने का प्रावधान है। नए नियम के अनुसार, रेलकर्मियों के वेतन से किस्त में हर महीने रात्रि भत्ता की राशि काटी जाएगी। इससे प्रत्येक रेलकर्मी के वेतन से करीब तीन से पांच सौ रुपये की कमी आएगी। दक्षिण-पूर्व जोन मेंस कांग्रेस के महासचिव एसआर मिश्रा ने बताया कि रात्रि भत्ता राशि कटौती के मुद्दे पर रेलवे बोर्ड से एनएफआईआर की वार्ता जारी है।

रात्रि भत्ता और अन्य मांगों को लेकर देशभर में स्टेशन मास्टर आंदोलन कर रहे हैं। रेलवे बोर्ड ने रात्रि भत्ता के लिए वेतन की सीमा निर्धारित कर दी है जिसका स्टेशन मास्टर विरोध कर रहे हैं। रेल परिचालन में किसी तरह की बाधा पहुंचाए उनका आंदोलन चल रहा है। इसी कड़ी में 20 से 26 अक्टूबर तक काला सप्ताह मनाया जा रहा है जिसमें स्टेशन मास्टर बांहों पर काली पट्टी बांधकर ड्यूटी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो आने वाले दिनों में आंदोलन तेज कर दिया जाएगा।

ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (आइस्मा) के दिल्ली मंडल अध्यक्ष नरेंद्र कुमार का कहना है कि रेलवे बोर्ड के आदेश के अनुसार 43600 रुपये तक मूल वेतन वालों को ही रात्रि भत्ता दिया जाएगा। बोर्ड के इस आदेश का देशभर के 39000 स्टेशन मास्टर विरोध कर रहे हैं। सबसे पहले आइस्मा के पदाधिकारियों ने रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को ईमेल भेजकर विरोध जताया था। दूसरे चरण में रात की ड्यूटी के दौरान में मोमबत्ती जलाकर विरोध जताया गया था। अब तीसरे चरण में काला सप्ताह मनाया जा रहा है। यदि रेल प्रशासन ने अपना आदेश वापस नहीं लिया तो स्टेशन मास्टर 31 अक्टूबर को 12 घंटे की भूख हड़ताल करेंगे।

आंदोलनकारियों का कहना है कि स्टेशन मास्टर विपरीत परिस्थितियों में काम करते हैं। कोरोना काल में भी स्टेशन मास्टर अपनी जान जोखिम में डालकर जिम्मेदारी ईमानदारी पूर्वक निभा रहे हैं जिससे कि रेल परिचालन में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो। इस स्थिति में रात्रि भत्ता से उन्हें वंचित करना अनुचित है। उन्होंने स्टेशन मास्टर को 50 लाख रुपये का बीमा देने और रेलवे के निजीकरण व निगमीकरण बंद करने की भी मांग की है।