कोरोना काल में रेलवे ने अपने हजारों कर्मचारियों को झटका दिया है। रेल प्रशासन द्वारा रात्रिकालीन ड्यूटी भत्ते पर नया फैसला लिया है। इस फैसले के तहत अब उन रेल कर्मियों को ही नाइट ड्यूटी अलाउंस मिलेगा, जिनका मूल वेतन 43600 रुपये या इससे कम है। बोर्ड की यह व्यवस्था लागू होने से उत्तर मध्य रेलवे समेत सभी जोनल रेलवे के हजारों कर्मचारी नाइट ड्यूटी अलाउंस से बाहर हो गए हैं। इससे ज्यादा बड़ी परेशानी रेलकर्मियों के लिए यह है कि एक जुलाई 2017 के बाद जिन रेल कर्मियों ने नाइट अलाउंस प्राप्त कर लिया है, उनसे रेल प्रशासन अब रिकवरी भी करेगा।

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन को लेकर नाइट ड्यूटी अलाउंस को लेकर कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी )  की ओर से पिछले दिनों ही तय किया गया कि ऐसे रेलकर्मी जिनका मूल वेतन 43600 रुपये या इससे कम है, अब उन्हें ही इस भत्ते का लाभ मिलेगा। डीओपीटी की ओर से नया आदेश जारी करने के बाद रेलवे बोर्ड ने संपूर्ण जोनल रेलवे में यह आदेश प्रभावी कर दिया। यह आदेश एक जुलाई 2017 से जारी करने का निर्देश भी रेलवे बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर अवस्थापना एनपी सिंह ने दिया।
उत्तर मध्य रेलवे जोन में लागू होने के बाद यहां कार्यरत सभी स्टेशन मास्टर, टिकट चेकिंग स्टाफ, लोको पॉयलट, गार्ड समेत अन्य पदों पर काम करने वाले कर्मचारी भी नाइट अलाउंस भत्ते से बाहर हो गए हैं। एनसीआर जोन की बात करें इस नए आदेश के बाद 1900 ग्रेड पे वाले कर्मचारी ही अब नाइट अलाउंस के दायरे में आएंगे। खास बात यह कि एक जुलाई 2017 से इसे लागू करने की वजह से बीते सवा तीन वर्ष के दौरान जो रेलकर्मी नाइट अलाउंस पा चुके हैं, उनसे रेलवे रिकवरी करेगा। ऐसे कर्मचारियों की संख्या सिर्फ एनसीआर में ही 15 हजार से ज्यादा है। इन प्रत्येक रेलकर्मी से रेलवे तकरीबन दो लाख रुपये की रिकवरी करेगा। रेलवे के इस निर्णय का नार्थ सेंट्रल रेलवे इंपलाइज संघ ने विरोध किया है। 


जो कर्मचारी आएंगे दायरे में वह कम पाएंगे भत्ता
इतना ही नहीं सातवें वेतन आयोग के लागू होने से पूर्व दशकों से रात्रि भत्ता ग्रेड पे के अनुसार सभी पात्र अराजपत्रित कर्मचारियों पर बिना किसी सीलिंग के दिया जाता था और हर छह माह में डीए बढ़ने पर बढ़ता था। अब सातवें वेतन  लागू होने के पश्चात इसके लिए एक फार्मूला बना दिया गया है। इससे हर कर्मचारी का रेट उसके वेतन + डी ए  के 200वें  भाग के बराबर हो गया। इस नियम से भी कम वेतन पाने  कर्मचारियों का रात्रि भत्ता पूर्व से भी कम हो गया था
भत्ते पर बिना यूनियन को भरोसे में लिए इस तरह का तुगलकी आदेश जारी करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण  है, इसका हर कदम पर विरोध किया जाएगा। एनएफआईआर ने इस संबंध में रेलवे बोर्ड को पत्र लिख कर डीओपीटी से  वार्ता  कर इस आदेश से अलग रखने की मांग की है। – आर पी सिंह, महामंत्री, इंपलाइज संघ
रेलवे की वर्किंग केंद्र सरकार के अन्य विभागों से भिन्न है। यहां हजारों कर्मचारी अपने स्वास्थ्य परवाह किये बगैर रात में भी काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर का वेतन 43600 से ज्यादा है। अब रात्रि भत्ता नहीं मिलेगा एवं रात्रि भत्ते की रिकवरी होगी। इस आदेश को रद्द करने का जल्द निर्णय लिया जाए। – आलोक सहगल , सहायक महामंत्री, एनसीआरईएस।