प्रधानमंत्री नरेन्द्र के नेतृत्व में रेलवे की इतनी प्रगति हुई है, जितनी आजादी के बाद भी नहीं हुई। कोरोना संकट काल में रेल कोच फैक्टरी कपूरथला ने एलएचबी डिब्बों के निर्माण में एक नया कीर्तिमान बनाया है। सितंबर महीने में आरसीएफ ने 152 एलएचबी कोचों का निर्माण किया है। साल 2002 में एलएचबी कोचों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू हुई थी। तब से अब तक ये एक महीने में सबसे बड़ा उत्पादन है। इससे पहले जुलाई में 151 एलएचबी डिब्बों का निर्माण कर चुका है। रेल मंत्री पीयूस गोयल ने कहा कि सुरक्षित एलएचबी कोचों का उत्पादन ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता की एक और कहानी है।

रेलवे 2030 तक बन जाएगा ग्रीन, सभी मार्गों का होगा विद्युतीकरण
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में तेज गति से रेलवे का आधुनिकीकरण हो रहा है और यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी हो रही है। भारतीय रेलवे सन 2030 तक पूरी तरह से ग्रीन रेलवे में बदल जाएगा। रेल मंत्रालय ने 2030 तक भारतीय रेलवे को पूरी तरह हरित ऊर्जा से संचालित करने का लक्ष्‍य निर्धारित करने के साथ, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में कई बड़ी पहल की है। रेलवे विद्युतीकरण, लोकोमोटिव और ट्रेनों की ऊर्जा दक्षता में सुधार के साथ स्थाई उपकरणों और स्टेशनों के लिए ग्रीन सार्टिफिकेट हासिल करने, डिब्बों में बॉयो टॉयलेट बनाए जाने और अपनी ऊर्जा जरुरतों के लिए नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता तथा शून्य कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करना इस रणनीति का हिस्‍सा है।

रेलवे ने 40,000 से अधिक व्‍यस्‍त मार्गों में से 63% का विद्युतीकरण पूरा कर लिया है, जिसमें 2014-20 के दौरान 18,605 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण कार्य किया गया है। इससे पहले, 2009-14 की अवधि के दौरान केवल 3,835 किमी मार्ग का विद्युतीकरण पूरा हुआ था। भारतीय रेलवे ने वर्ष 2020-21 के लिए 7000 किलोमीटर मार्ग के विद्युतीकरण का लक्ष्य तय किया है। व्‍यस्‍त नेटवर्क के सभी मार्गों के दिसंबर 2023 तक विद्युतीकरण करने की योजना बनाई गई है।

बिजली बचाने के लिए भी अनूठी पहल
बिजली बचाने के लिए रेलवे ने अनूठी पहल शुरू की है। ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर आने पर 100 प्रतिशत लाइट्स जलेंगी और जाने पर 50 प्रतिशत लाइट्स खुद से बंद हो जाएंगी। पश्चिम रेलवे के जबलपुर, भोपाल और नरसिंहपुर स्टेशन पर यह व्यवस्था शुरू की गई है। इससे ऊर्जा की खपत कम होगी और बचत ज्यादा होगी।

500 मेगावाट सौर ऊर्जा के लिए काम जारी
भारतीय रेलवे ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भी कई पहल की है। यह रूफ टॉप सोलर पैनल के माध्यम से 500 मेगावाट ऊर्जा क्षमता के लिए काम कर रहा है। अब तक, 900 स्टेशनों सहित विभिन्न इमारतों की छतों पर 100 मेगा वाट क्षमता वाले सौर संयंत्र लगाए गए हैं। 400 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले सौर संयंत्र विभिन्न चरणों में हैं।

इसके अलावा, भारतीय रेलवे अपनी जमीन पर भी सौर संयंत्र लगाने की कोशिश में है। भारतीय रेलवे के पास 20 गीगावॉट क्षमता वाले सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए 51,000 हेक्टेयर भूमि है। रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड भारतीय रेलवे की एक संयुक्त उपक्रम कंपनी है जिसमें रेलवे की (49%) और राइट्स लिमिटेड की (51%) हिस्‍सेदारी है। इस कंपनी को रेलवे की जमीन पर लगाए जाने वाले सौर संयंत्रो का काम देखने की जिम्‍मेदारी दी गई है।

भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के सहयोग से बीना (मध्य प्रदेश) में 1.7 मेगावाट की ऐसी एक परियोजना पहले ही स्थापित की जा चुकी है और वर्तमान में व्यापक परीक्षण की प्रक्रिया में है। यह दुनिया में अपनी तरह की पहली सौर परियोजना है।

पवन ऊर्जा में 200 मेगावाट क्षमता का लक्ष्य
पवन ऊर्जा क्षेत्र में, 103 मेगावाट पवन आधारित बिजली संयंत्रों को पहले ही चालू कर दिया गया है। इनमें 26 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना राजस्थान के जैसलमेर में, 21 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना तमिलनाडु में और 56.4 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना महाराष्ट्र के सांगली में है। भारतीय रेलवे ने तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में अगले 2 वर्षों में 200 मेगावाट क्षमता वाले पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की भी योजना बनाई है।

जलवायु परिवर्तन में अपनी भूमिका का एहसास करते हुए भारतीय रेलवे ने इमारतों और स्टेशनों में एलईडी बल्‍बों के जरिए 100 फीसदी प्रकाश करने जैसी हरित पहल शुरू की है। भारतीय रेलवे ने सीआईआईआई से अपनी 7 प्रोडक्शन यूनिट्स, 39 वर्कशॉप, 6 डीजल शेड और 1 स्टोर्स डिपो के लिए हरित प्रमाण पत्र भी हासिल कर लिया है। 14 रेलवे स्टेशनों और 21 अन्य भवनों/परिसरों को भी हरित ऊर्जा वाले भवनों के रूप में प्रमाणित किया गया है। इसके अलावा 215 स्टेशनों को पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस)/आईएसओ 14001 के साथ प्रमाणित किया गया है।

करीब ढ़ाई लाख जैव-शौचालय लगाए गए
कुल 505 जोड़ी ट्रेनों में हेड ऑन जेनरेशन तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया है। इससे प्रति वर्ष लगभग 70 मिलियन लीटर डीजल/ 450 करोड़ रुपये की बचत की संभावना है। रेलवे ने इसके अलावा अपनी सभी 8 उत्पादन इकाइयों और 12 कार्यशालाओं में ऊर्जा दक्षता हासिल करने के लिए सीआईआई के साथ करार के तहत पूरा किया है जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा दक्षता में 15 प्रतिशत सुधार हुआ है। हरित पहल के तहत भारतीय रेलवे ने अपनी रेलगाडि़यों के कुल 69,000 डिब्‍बों में 2,44,000 से अधिक जैव-शौचालय लगाए हैं।

9 ‘सेवा सर्विस’ ट्रेनों का शुभारंभ
भारतीय रेलवे ने हाल ही में प्रमुख शहरों के आसपास के छोटे कस्‍बों को कनेक्टिविटी या रेल संपर्क सुलभ कराने के लिए 9 ‘सेवा सर्विस’ ट्रेनों का शुभारंभ किया। रेल और वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण, विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा पृथ्‍वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस व इस्‍पात मंत्री धर्मेन्‍द्र प्रधान के साथ मिलकर दिल्‍ली-शामली यात्री ट्रेन का शुभारंभ कर नई दिल्‍ली से इन सेवाओं की शुरुआत की। अन्‍य ट्रेनों को उन टर्मिनल स्‍टेशनों से संबंधित वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए झंडी दिखाकर रवाना किया गया जहां इन रेलगाडि़यों का शुभारंभ किया जाना है।

आठ राज्‍यों में इन 9 ‘सेवा सर्विस’ ट्रेनों में से 4 ट्रेनें प्रतिदिन और अन्‍य 5 ट्रेनें सप्‍ताह में 6 दिन चलाई जाएंगी।

● वडनगर – महेसाणा डेमू (सप्ताह में 6 दिन) – गुजरात
● असरवा – हिम्मतनगर डेमू (सप्ताह में 6 दिन) – गुजरात
● करूर – सलेम डेमू (सप्ताह में 6 दिन) – तमिलनाडु
● कोयम्बटूर – पोलाची पैसेंजर ट्रेन (सप्ताह में 6 दिन) – तमिलनाडु
● कोयम्बटूर – पलानी पैसेंजर ट्रेन (प्रतिदिन) – तमिलनाडु
● यशवंतपुर – तुमकुर डेमू (सप्ताह में 6 दिन) – कर्नाटक
● मर्कोंगसेलेक – डिब्रूगढ़ पैसेंजर ट्रेन (प्रतिदिन) – असम
● भुवनेश्वर – नयागढ़ एक्सप्रेस (प्रतिदिन) – असम
● दिल्ली – शामली पैसेंजर ट्रेन (प्रतिदिन)

ये ट्रेनें ‘हब एंड स्‍पोक’ मॉडल के तहत चलाई जाएंगी जिससे यात्रियों को इन रेलगाडि़यों का उपयोग कर ‘हब’ तक पहुंचने और फिर अन्‍य प्रमुख स्‍टेशनों के लिए आगे की यात्रा करने में सुविधा होगी। भारतीय रेलवे ने छोटे शहरों एवं कस्‍बों के यात्रियों को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए इसी मॉडल की तर्ज पर कई और रेलगाडि़यां चलाने की योजना बनाई है। इन उपायों से भारतीय रेलवे की कमाई भी बढ़ेगी जिससे अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूती प्रदान करने में मदद मिलेगी।

6,000 करोड़ रुपये से बनने वालीं तीन नई रेल परियोजनाओं को मंजूरी
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार रेलवे के आधुनिकीकरण, ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने, प्लेटफॉर्म पर यात्री सुविधाओं को दुरुस्त करने के काम में युद्धस्तर पर लगी है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेलवे के कायाकल्प की जो मुहिम शुरू हुई थी, वो दूसरे कार्यकाल में भी जारी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

मोदी सरकार ने दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर इलाहाबाद और मुगलसराय के बीच ट्रेनों के आवागमन में होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए 2,649 करोड़ रुपये की लागत से एक तीसरी रेल लाइन के निर्माण को मंजूरी दी है। रेल मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक सीसीईए की बैठक में इलाहाबाद और पंडित दीनदयाल उपाध्याय (मुगलसराय) स्टेशन के बीच अनुमानित 2,649.44 करोड़ रुपये की लागत से एक तीसरी रेल लाइन के निर्माण को मंजूरी दी गई। रेलमंत्री ने बताया कि इलाहाबाद और पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशनों के बीच रेलमार्ग की क्षमता 159 फीसदी है। इन दोनों रेलवे स्टेशनों के बीच 150 किलोमीटर लंबा यह रेलमार्ग वर्ष 2023-24 तक पूरा होगा। यह काम उत्तर रेलवे निर्माण संगठन द्वारा पूरा किया जाएगा। रेलमंत्री के मुताबिक इस तीसरे रेलमार्ग से रेल यातायात की कठिनाई दूर होगी। जाहिर है कि इस रेलखंड पर यात्री व मालगाड़ियों की संख्या इसकी क्षमता से अधिक है, जिस कारण भारी भीड़भाड़ बनी रहती है और ट्रेनें लेट हो जाती हैं।

इसके साथ ही उत्‍तर प्रदेश में सहजनवा और दोहरीघाट के बीच 81.17 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन के निर्माण को मंजूरी भी दी गई है। इस परियोजना के निर्माण पर कुल 1319.75 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी।

न्यू बोंगाईगांव-अगथोरी रेल लाइन के दोहरीकरण को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति की बैठक में ही असम में उत्तर-पूर्व फ्रंटियर रेल की न्यू बोंगाईगांव तथा अगथोरी वाया रंगिया (142.97 किलोमीटर) रेल लाइन के दोहरीकरण की मंजूरी दे दी गई। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2042.51 करोड़ रुपये है। परियोजना वर्ष 2022-23 तक पूरी होगी। इसे उत्तर-पूर्व फ्रंटियर रेल के निर्माण संगठन द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा। जाहिर है कि न्यू बोंगाईगांव तथा अगथोरी वाया रंगिया के बीच लाइन क्षमता उपयोग 100 प्रतिशत से अधिक है। इस सेक्शन पर यातायात और बढ़ेगा क्योंकि रंगिया-मरगोंगसेलेक बड़ी लाइन 2015-16 में शुरू की गई है और बोगीबिल पुल नई लाइन हाल में चालू की गई है। वर्तमान नेटवर्क की क्षमता बाधाओं को दूर करने तथा बढ़ते ढुलाई और यात्री यातायात से निपटने के लिए न्यू बोंगाईगांव-अगथोरी वाया रंगिया रेल लाइन का दोहरीकरण आवश्यक है। दोहरीकरण से न्यू बोंगाईगांव-अगथोरी वाया रंगिया रेल लाइन का समग्र परिचालन प्रदर्शन में सुधार होगा और काफी हद तक इस सेक्शन में भीड़भाड़ में कमी आएगी।

जल्द सभी पैसेंजर ट्रेनें होंगी हाईस्पीड, आधे समय में पूरा होगा सफर
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में इतना अधिक काम हो रहा है, जो पहले की सरकारों में कभी नहीं हुआ। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेलवे के आधुनिकीकरण का जो कार्य शुरू किया गया था, उसका फायदा अब यात्रियों को मिलने वाला है। बताया जा रहा है कि रेलवे अब स्थिति में आ रही है कि जल्द ही सभी यात्री ट्रेनें हाईस्पीड कर दी जाएंगी और इससे सफर का समय भी लगभग आधा रह जाएगा।

बीते वर्षों में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर बड़े जोर-शोर से काम चल रहा है। इसकी शुरुआत इसी साल हो जाएगी। हालांकि इसे पूरी तरह से बनने में अभी कुछ और वक्त लगेगा। लेकिन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनने से दिल्ली-मुंबई के बीच जो कंटेनर अब 15 दिनों में पहुंचता है, उसे अब सिर्फ 24 घंटे ही लगेंगे। इसके बनने से यात्री गाड़ियों की रफ्तार भी दोगुनी से अधिक हो जाएगी। इतना ही नहीं रेलवे ट्रैकों के विद्युतीकरण का काम भी युद्धस्तर पर चल रहा है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने वर्ष 2015-16 में रेलवे में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पांच साल में 8.56 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना कर जो प्राथमिकताएं तय कीं थीं उन्हीं का असर है कि आज रेलवे का इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत हुआ है।

मोदी सरकार ने रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। इसी वजह है कि रेल दुर्घटनाओं में अप्रत्याशित कमी आई है। इस दौरान ट्रेनों के टकराने के मामले शून्य हो गए और रेलगाड़ियों के बेपटरी होने की घटनाओं में कमी आई है। मोदी सरकार की नीतियों की वजह से ही रेलवे के माल ढुलाई राजस्व में 5.33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई ही।

रेलवे में आधुनिकीकरण के साथ सुरक्षा को प्राथमिकता
भारतीय रेल देश के विभिन्न हिस्सों को आपस में जोड़ती है और रोजाना करोड़ों की संख्या में यात्री ट्रेनों में सफर करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार रेलवे के सफर को सुरक्षित और आरमदायक बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। इसका प्रमाण मोदी सरकार की मौजूदा और भावी योजनाओं से मिलता है, जिसके बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक सवाल के जवाब में संसद में बताया। रेल मंत्री के मुताबिक जापान से 24 बुलेट ट्रेनें खरीदी जाएंगी, वहीं सुरक्षा के मद्देनजर लंबी दूरी की ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे और आरपीएफ में 9 हजार भर्तियां होंगी।

मेक इन इंडिया के तहत 6 बुलेट ट्रेनें भारत में होंगी असेंबल
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और जापानी कंपनी के बीच हुए एमओयू के अनुसार मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खरीदी जाने वाली 24 रेलगाड़ियों में से छह को भारत में असेंबल करने की योजना है। गोयल ने बताया कि इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये है। इसमें से 81 फीसदी राशि की फंडिंग जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जीका) के जरिए किया जाएगा। इस काम को 2023 में पूरा करने का लक्ष्य है।

लंबी दूरी की ट्रेनों में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे
रेलमंत्री गोयल ने बताया कि सरकार का लंबी दूरी की सभी ट्रेनों के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। प्रीमियम, मेल, एक्सप्रेस और उपनगरीय रेल गाड़ियों के सभी सवारी डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कदम उठाए गए हैं। पहले चरण के दौरान इन गाड़ियों के 7020 सवारी डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है।

वाई-फाई से जुड़े देश के 1500 रेलवे स्टेशन प्रधानमंत्री मोदी की डिजिटल इंडिया मुहिम के तहत सभी रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त वाई-फाई सुविधा देने की परियोजना जनवरी 2016 में पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल स्टेशन से शुरू की गई थी। इसी के तहत देश के 1500 रेलवे स्टेशनों पर वाई-पाई की सुविधा दी जा चुकी है।

दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच फैक्ट्री बनाने की पहल
पिछले साल 16 दिसंबर को पीएम मोदी ने यूपी के रायबरेली रेल कोच फैक्ट्री से बनकर निकले 900वें रेल डिब्बे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि, “मुझे गर्व हो रहा है कि आने वाले समय में रायबरेली रेल कोच के निर्माण में एक ग्लोबल हब बनने वाला है।” उन्होंने कहा कि 2014 तक यहां 3 प्रतिशत मशीनें ही काम कर रही थी, जिस स्थिति को उनकी सरकार ने बदल दिया। उनके सरकार में आने के बाद 3 महीने के भीतर ही यहां से पहला कोच बनकर निकला। भाजपा सरकार के प्रयास से अब सारी मशीनें पूर्ण क्षमता से काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अब जो काम हो रहा है, वह इसे भारत की ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच फैक्ट्री बना देगा। बहुत जल्द ही इस फैक्ट्री में देशभर के लिए मेट्रो के डिब्बे, सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के डिब्बे बनेंगे। जबकि, 2010 में फैक्ट्री बनने के बाद से 2014 तक यहां पर सिर्फ कपूरथला से रे