केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यह एक जरूरी सूचना है। हर कर्मचारी को इस खबर को ध्‍यान से पढ़ना चाहिये क्‍योंकि यह महंगाई भत्‍ते DA से जुड़ी है। असल में सोशल मीडिया पर इन दिनों एक खबर वायरल हो रही है कि केंद्रीय कर्मचारियों के डीए में कटौती किए जाने की घोषणा केंद्र सरकार ने वापस ले ली है। यानी कर्मचारियों को डीए का भरपूर लाभ मिलने वाला है। मैसेज में यह भी कहा गया है कि 1 जनवरी 2020 से यह महंगाई भत्‍ता लागू करके इसका भुगतान किया जाएगा। इस सूचना को पुख्‍ता बनाने के लिए केंद्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी पत्र भी अटैच करके दर्शाया जा रहा है। इस खबर के बाद से कई कर्मचारियों को डीए की आस फिर से बंध गई है। लेकिन हम आपको इसकी सच्‍चाई बताते हैं। असल में यह एक फेक न्‍यूज है, फर्जी मैसेज है। सरकार ने इसका सिरे से खंडन किया है और स्‍पष्‍ट किया है कि इस प्रकार का कोई आदेश सरकार द्वारा जारी नहीं किया गया है। प्रेस इंफार्मेशन ब्‍यूरो PIB की फैक्‍ट चेक विंग ने इस खबर को झूठा बताते हुए इसे खारिज कर दिया है। सरकार ने इस अफवाह को निराधार बताते हुए सच्‍चाई सामने ला दी है।

एक अनुरोध पत्र पर लगी हैडलाइन पर फर्जी की मोहर, जिसमे यह दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने DA कटौती की घोषणा वापस ले ली है।

इसमें कहा है कि, दावा: @FinMinIndia को लिखे गए एक अनुरोध पत्र पर अलग से हेडलाइन जोड़कर यह दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने DA कटौती की घोषणा वापस ले ली है। #PIBFactCheck: यह हेडलाइन फर्जी है। यह अनुरोध पत्र मई 2020 में लिखा गया था। केंद्र सरकार द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

यह लिखा है फर्जी पत्र में सोशल मीडिया पर वायरल किए गए इस फर्जी पत्र में कहा गया है कि सरकार ने डीए में कटौती की अपनी घोषणा को वापस ले लिया है। यह शीर्षक ही भ्रमपूर्ण है। यह अनुरोध पत्र गत मई के महीने में लिखा गया था। सच यह है कि केंद्र सरकार ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है। पीआईबी के फैक्‍ट चेक PIB Fact Check से यह तो साफ हो गया है कि अप्रैल माह के आदेश को वापस नहीं लिया गया है। हालांकि फेक न्‍यूज में इसे वापस लिया जाना बताया गया। पीआईबी फैक्‍ट चेक के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर यह बताया गया है कि गत मई के महीने में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण को महंगाई भत्‍ते में कटौती के निर्णय को वापस लिए जाने का एक अनुरोध पत्र लिखा गया था। लेकिन कतिपय तत्‍वों ने इस अनुरोध पत्र पर एक अलग से शीर्षक बनाकर यह दावा कर दिया कि सरकार अपना निर्णय वापस ले रही है, ताकि यह खबर विश्‍वसनीय बन सके, लेकिन पीआईबी ने इसकी पोल खोल दी है।