सर्विस रिकार्ड में दिव्यांग प्रमाण पत्र न होने पर 31 जुलाई को वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी वीपी सिंह ने उन्हें नोटिस भेजा। इसमें कहा गया कि कई बार मौखिक रूप से कहने के बावजूद प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

उत्तर मध्य रेल मुख्यालय सूबेदारगंज के कार्मिक विभाग में कार्यरत मुख्य कर्मचारी हित निरीक्षक अवनीश कुमार पाठक की नियुक्ति 18 साल बाद सवालों में घिर गई है। फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए नौकरी पाने की बात सामने आने पर उन्हें दो बार नोटिस जरूर दी गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

दिव्यांग कोटे से लिपिक के रूप में भर्ती हुए थे मुख्य कर्मचारी हित निरीक्षक अवनीश कुमार पाठक 1992 में दिव्यांग कोटे से लिपिक के रूप में भर्ती हुए थे। सर्विस रिकार्ड में तो इस बात का जिक्र है लेकिन इसका प्रमाणपत्र मौजूद नहीं है। यह बात सभी रेलकर्मियों का डाटा ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम (एचआरएमएस) में फीड किए जाने के दौरान सामने आई।

सर्विस रिकार्ड में दिव्यांग प्रमाण पत्र गायब सर्विस रिकार्ड में दिव्यांग प्रमाण पत्र न होने पर 31 जुलाई को वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी वीपी सिंह ने उन्हें नोटिस भेजा। इसमें कहा गया कि कई बार मौखिक रूप से कहने के बावजूद प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इस नोटिस के बाद भी अवनीश ने प्रमाण नहीं दिया तो वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी ब्रजेश चतुर्वेदी ने तीन सितंबर को दोबारा नोटिस जारी किया।

कई बार नोटिस के बाद भी नहीं जमा किया दिव्‍यांग प्रमाण पत्र इसमें हिदायत दी गई कि हर हाल में 18 सितंबर तक प्रमाण पत्र उपलब्ध करा दिया जाय ताकि डाटा इंट्री का काम पूरा किया जा सके। प्रमाण पत्र जमा न करने पर मामला फर्जीवाड़ा का माना जाएगा। यह अंतिम तिथि भी बीत गई लेकिन अवनीश ने प्रमाण पत्र जमा नहीं किया। उत्तर मध्य रेलवे के  सीपीआरओ अजीत कुमार सिंह ने बताया कि इन दिनों रेलकर्मियों का डाटा एचआरएमएस में फीड किया जा रहा है, ताकि कोई गड़बड़ी न रहे और व्यवस्था पारदर्शी हो। अगर कुछ मामला पकड़ा गया है तो यह मेरी जानकारी में नहीं है। ऐसा प्रकरण है तो जांच कराई जाएगी।

निलंबन भी रिकार्ड में दर्ज नहीं अवनीश से जुड़ा निलंबन का तथ्य भी सर्विस रिकार्ड में दर्ज नहीं है। 10 सितंबर 2010 में चीफ पर्सनल अफसर (सीपीओ) विभु कश्यप ने उनको निलंबित किया था। उनके तबादले के बाद से अवनीश लगातार नौकरी कर रहे है और वेतन ले रहे हैं। जब रिकार्ड में निलंबन दर्ज नहीं तो बहाली का भी कोई रिकार्ड नहीं।