Indian Railway News: CAG ने रेलवे की आर्थिक दशा पर चिंता जताते हुए कहा है कि सरकार ने रेलवे को गलत तरीके से फायदे में दिखाया। ऑपरेटिंग रेश्यो (Railway Operating Ratio) को गलत तरीके से दर्शाया गया। हाल में संसद में पेश रिपोर्ट में CAG ने रेलवे के प्रोजेक्ट्स में देरी पर भी चिंता जताई है।

हाइलाइट्स:

  • रेलवे को गलत तरीके से फायदे में दिखाया गया, ऑपरेटिंग कॉस्ट में हेरफेर की गई
  • आर्थिक स्थिति बेहतर दिखाने के लिए भविष्य की कमाई को खाते में जोड़कर दिखाया
  • ऑपरेटिंग रेश्यो 97.29 फीसदी दिखाया गया जबकि यह असल में 101.77 फीसदी था
  • रेलवे प्रोजेक्ट में हो रही देरी पर भी चिंता जताई गई, 395 में से 268 प्रोजेक्ट्स अधूरे

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने देश में रेलवे (Indian Railway) की आर्थिक दशा पर गहरी चिंता जताई है। हाल में संसद में पेश रिपोर्ट में CAG ने कहा है कि सरकार ने रेलवे को गलत तरीके से फायदे में दिखाया और ऑपरेटिंग कॉस्ट में हेरफेर की। रेलवे ने अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर दिखाने के लिए भविष्य की कमाई को अपने खाते में जोड़कर दिखाया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने वर्ष 2018-19 में अपना ऑपरेटिंग रेश्यो 97.29 फीसदी दिखाया है। हालांकि बजट अनुमानों के मुताबिक रेलवे को अपना ऑपरेटिंग रेश्यो 92.8 फीसदी रखना था। फिर भी जो आंकड़े रेलवे की तरफ से दिखाए गए उसके लिए गलत तरीका अपनाया गया। भविष्य की कमाई के आंकड़ों को भी शामिल किया।

ऑपरेटिंग रेश्यो में हेरफेर
रेलवे ने NTPC और CONCOR से भविष्य में मिलने वाले 8,351 करोड़ का माल भाड़ा अपने खाते में जोड़ा। इस तरह से खातों में रेलवे की कमाई ज्यादा दिखाई गई। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो असल में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो साल 2018 के लिए 101.77 होता। यानी उस दौरान रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए करीब 102 रुपये खर्च किए। ऑपरेटिंग रेश्यो से ही रेलवे की आर्थिक दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है।

CAG के मुताबिक कमाई के आंकड़ों को गलत तरीके से पेश कर रेलवे ने 3773.86 करोड़ रुपये फायदा दिखाया। असल में इस वित्त वर्ष में उसका ग्रोथ नेगेटिव रहा है। CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे ने अगर सही आंकड़े दिखाए होते तो उसे करीब 7334.85 करोड़ का नुकसान होता।

एलआईसी से मिले केवल 16,200 करोड़ रुपये
CAG ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि रेलवे ने 2015-16 में LIC से 5 साल में 1.5 लाख ऋण लेने का करार किया था। यह राशि 2015 से 2020 के बीच मिल जानी चाहिए थी लेकिन रेलवे 2015 से 2019 तक केवल 16,200 करोड़ रुपये ही ले पाया। रिपोर्ट में रेलवे प्रोजक्ट में हो रही देरी पर भी चिंता जताई गई है। इसके लिए जोनल रेलवे की क्षमताओं पर सवाल खड़े किए गए हैं। साथ ही इसके लिए रेलवे बोर्ड की भी खिंचाई की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 395 प्रोजेक्ट्स में से 268 प्रोजेक्ट्स 31 मार्च 2019 तक पूरे नहीं हुए थे।

कोयले ढुलाई से सबसे अधिक कमाई
सीएजी का कहना है कि रेलवे कोयले ढुलाई से सबसे ज्याद कमाई करता है। यह उसकी माल ढुलाई से होने वाली कमाई का तकरीबन आधा हिस्सा है। रेलवे कोयले की ढुलाई पर बहुत ज़्यादा निर्भर है और इसमें किसी भी तरह से बदलाव से उसकी कमाई पर बहुत बड़ा असर पड़ सकता है।