प्रतीकात्मक तस्वीर

रेलवे कर्मचारी यूनियन ने कहा है कि मुंबई मंडल के 800 से ज्यादा केंद्रीय रेल कर्मचारियों को कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते काम न कर सकने की स्थिति में मई माह का वेतन नहीं मिला है। कर्मचारियों ने जहां लॉकडाउन के चलते आने-जाने की समस्याओं का हवाला दिया है वहीं, अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कई केवल लॉकडाउन का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। रेलवे अधिकारी इस मामले में बड़ी साजिश की आशंका जता रहे हैं। 

कर्मचारी यूनियन के मुताबिक इनमें से अधिकतर कर्मचारी बाहरी इलाकों में रहते हैं और यातायात सुविधाओं के अभाव के चलते ये काम पर जाने में असमर्थ थे। इस सूची में कई ट्रैक मेंटेनेंस कर्मचारियों का नाम भी शामिल है। एक गैंगमैन के मुताबिक, ‘मैं बदलापुर में रहता हूं। वहां कोरोना वायरस के कुछ मामले सामने आने के बाद उस इमारत को सील कर दिया गया था जिसमें मैं रहता हूं और पूरे इलाके में बैरीकेडिंग कर दी गई थी। इसलिए मैं ऑफिस नहीं जा सका।’

मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय रेलवे मजदूर संघ (सीआरएमएस) के चेयरमैन आरपी भटनागर कहते हैं कि अप्रैल में भी इनमें से अधिकांश कर्मचारियों को प्रोविजनल (अनंतिम) वेतन दिया गया था। और पिछले महीने (मई) के लिए तो उन्हें कुछ भी नहीं दिया गया। भटनागर ने कहा, ‘रेलवे ट्रेन संचालित कर पा रहा है इसके पीछे कर्मचारियों का कठिन परिश्रम है। लेकिन उसे इन कर्मचारियों के परिवारों की चिंता नहीं है। ऐसी स्थिति में वह अपना घर कैसे चलाएंगे?’

यूनियन ने रुके भुगतान को तत्काल पूरा करने की मांग करते हुए केंद्रीय रेलवे के महानिदेशक को एक पत्र लिखा है। इसमें यह भी कहा गया है कि ये कर्मचारी लॉकडाउन के दौरान जितने समय के लिए अनुपस्थित रहे हैं उतने समय के लिए उन्हें अवकाश (कैजुअल लीव) दिया जाए। वहीं, केंद्रीय रेलवे के मुंबई मंडल के डीआरएम शलभ गोयल का कहना है कि प्रशासन मामले की जांच कर रहा है और कोई भी फैसला नियमों के तहत ही लिया जाएगा।

अधिकारियों के मुताबिक कहानी कुछ और केंद्रीय रेलवे के मुंबई मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि कुछ लोग दूसरों को काम पर न आने के लिए प्रेरित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘कुछ कर्मचारी लोगों से कह रहे हैं कि उन्हें तब भी वेतन मिलेगा अगर वह काम पर नहीं जाएंगे। इससे अच्छे कर्मचारी भी हतोत्साहित हो रहे हैं। अगर ऐसे ही होता रहा तो हम श्रमिक स्पेशल जैसी विशेष रेलगाड़ियां और मालगाड़ियों आदि का संचालन कैसे करेंगे?’

अधिकारी ने कहा कि स्टाफ कम होने की वजह से मानसून से पहले की ट्रैक और सिग्नल व्यवस्था की सुरक्षा जांच का काम प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा, ‘जब हमने सूची देखी तो हमारे ध्यान में आया कि इस सूची में शामिल कई लोग जो इस दौरान गैरहाजिर थे एक ही क्षेत्र में रहते हैं।’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि उसी क्षेत्र में रहने वाले कुछ लोग काम पर आए और कुछ नहीं आए।