भ्रष्टाचार में लिप्त रेल अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन होगा। ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन ने मोर्चा खोल दिया है। मंडल के सभी स्टेशनों पर एक साथ आंदोलन होगा। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। सभी स्टेशनों के कर्मियों व यूनियन के पदाधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है। उनसे एकजुट होने की अपील की जाएगी।

यूनियन के मंडल मंत्री एससी त्रिवेदी ने बताया कि पूर्व के वाणिज्य अधिकारी ने अपने विभाग के अधिकतर कर्मियों का तबादला किया था। इसमें कई कर्मियों ने नई जगह योगदान भी नहीं किया। कर्मियों को डिप्टेशन पर तैनात कर दिया। वर्तमान वाणिज्य विभाग के अधिकारी ने डिप्टेशन वाले कर्मियों को वापस किया। कर्मियों का नए सिरे से तबादला किया। इसमें कई कर्मियों की समय अवधि पूरी भी नहीं हुई। उन कर्मियों का भी तबादला कर लिस्ट जारी कर दी गई। इसमें गोलमाल किया गया।








पीएनएम की बैठक में भी सवाल किया गया। डीआरएम को भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्व कार्रवाई के लिए कहा गया है। नहीं होने पर यूनियन आंदोलन करेंगा। पदाधिकारियों व सदस्यों के बीच शीघ्र बैठक होगी। इसमें सभी स्टेशनों पर एक साथ आंदोलन करने को रणनीति तय की जाएगी।

भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में मंजूरी का अड़ंगा

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) केंद्र सरकार के करीब 100 कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन दायर करने की मंजूरी के लिए चार माह से अधिक का इंतजार कर रहा है। इनमें कई भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं।नियमों के तहत भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन के लिए चार माह में मंजूरी दी जानी होती है। सीवीसी के अनुसार उसे सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दायर करने की मंजूरी मिलने में देरी हो रही है।




सीवीसी के ताजा आंकड़ों के अनुसार कुल 51 मामलों में कम से कम 97 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाया जाना है। इनमें से सबसे अधिक आठ मामले भ्रष्टाचार रोधक मामलों में नोडल प्राधिकरण कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पास लंबित हैं। इसी तरह कॉरपोरेशन बैंक के पास भी आठ मामले लंबित हैं। सीवीसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार से छह अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी नहीं मिली है।




इसी तरह दो-दो ऐसे मामले रक्षा मंत्रालय रेल मंत्रालय, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, राजस्व विभाग, पंजाब नेशनल बैक और जम्मू-कश्मीर सरकार के पास लंबित हैं। एक-एक मामला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग), केनरा बैंक, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लि., भारतीय स्टेट बैंक, बैंक आफ इंडिया, ओरियंटल बैंक आफ कामर्स, यूनियन बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ बड़ौदा, स्वास्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय और लोकसभा के पास लंबित है।

Source:- Jagran