रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विसेज लिमिटेड (राइट्स) ने लगभग 1500 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी पर एक ऐसी कंपनी को टेंडर दे दिए गए, जिसकी निदेशक एक रेलवे अधिकारी की पत्नी थीं। इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें सीबीआइ, सीवीसी, रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड के मेंबर इलेक्ट्रिकल, सीरियस फ्रॉड एंड इनवेस्टिगेशन, मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग, यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन को प्रतिवादी बनाया गया है।








याचिका के विषय को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने इसे सुप्रीम कोर्ट में बतौर जनहित याचिका सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट को भेज दिया गया है। अब इस पर मुख्य न्यायाधीश 3 जुलाई को इस पर सुनवाई करेंगे। याचिका क्वालिटी इंजीनियर्स एंड कांट्रेक्टर्स के मालिक सतीश मांडवकर ने दायर की है।

याचिका में कहा गया है कि रेलवे अधिकारी की पत्नी एक प्राइवेट कंपनी में बतौर डायरेक्टर तैनात थीं। सन 2004 में इस कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए मेंबर इलेक्ट्रिकल (जिनकी पत्नी इस कंपनी में निदेशक थीं) ने करीब 1500 रुपये का टेंडर अलॉट किया था। इस टेंडर में फर्जी बैंक गारंटी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया गया है।




दरअसल, जिस समय मेंबर इलेक्ट्रिकल राइट्स में डेपुटेशन पर बतौर ग्रुप जनरल मैनेजर भेजे गए थे, उसी समय टेंडर का आवंटन किया गया। इसी तरह सन 2010 में दिल्ली से पलवल के बीच तीन करोड़ रुपये का मोडिफिकेशन का टेंडर भी इसे दिया गया। इस कार्य को क्वालिटी इंजीनियर्स एंड कांट्रेक्टर्स ने किया, लेकिन जब प्रोजेक्ट 90 फीसद पूरा हो या था तो इस कार्य को दूसरी कंपनी को 5.79 करोड़ रुपये का टेंडर फिर से अलॉट कर दिया गया। इसी प्रकार जम्मू-उधमपुर सेक्शन में लाइन पर रेल दौडऩे लगी, इसके बाद टेंडर रद कर दिया गया। याचिका में कहा गया कि सतीश ने शिकायतें की, तो उसके करीब 100 करोड़ रुपये के टेंडर रद कर दिए गए।




लखनऊ में भी अधिक रेट पर टेंडर दिया

वर्ष 2015 में लखनऊ में भी टेंडरों में खेल हुआ। भदोही से जंघई रेलवे विद्युतीकरण प्रोजेक्ट करीब 9.55 करोड़ में अलॉट किया गया। इसी टेंडर को लेने के लिए एक अन्य कंपनी ने भी रेट भरे थे, इसमें करीब 50 लाख रुपये कम खर्च होते। इसके बावजूद दूसरी कंपनी पर मेहरबानी कर सरकार को नुकसान पहुंचाया गया। ऐसे कई टेंडरों का उल्लेख याचिका में किया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि मेंबर इलेक्ट्रिकल की शिकायतों के बावजूद पदोन्नतियां दी गईं। अधिकारी की शिकायत सीबीआइ, सीवीसी आदि को की गई थी, इसलिए सभी को पार्टी बनाया गया है।

हाई कोर्ट ने याचिका को जनहित याचिका में बदला : एडवोकेट विश्वेंद्रा

याची के एडवोकेट विश्वेंद्रा वर्मा ने कहा कि रेलवे अधिकारी ने अपनी पत्नी की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडरों में खेल किया है। उसके खिलाफ दायर इस याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने जनहित याचिका में सुनने के लिए चीफ जस्टिस को भेज दिया है।

Source:- Jagran