बिना टिकट अकेले सफर कर रही महिला रेल यात्री को टीटीई ट्रेन से नहीं उतार सकता है। रेलवे बोर्ड लगभग तीन दशक पुराने इस कानून को सख्ती से लागू करने जा रहा है। दरअसल इस कानून के बारे में रेलवे कर्मियों (टीटीई, टीसी, गार्ड, स्टेशन मास्टर) और महिला यात्रियों को पता नहीं है।.

रेलवे बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि अकेले सफर कर रही महिला यात्री को किसी भी स्टेशन पर उतारने से अनहोनी की आशंका होती है। इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए 1989 में उक्त कानून बनाया गया। लेकिन समय के साथ लोग इसे भूल चुके हैं।रेलवे अगले सप्ताह से अभियान चलाकर कानून लागू करने जा रहा है।







उन्होंने कहा, आरक्षित कोच में प्रतीक्षा सूची में नाम होने पर भी उसे कोच से नहीं निकाला जा सकता। यदि महिला स्लीपर टिकट पर एसी-3 में सफर कर रही है तो टीटीई उसे स्लीपर में जाने के लिए केवल अनुरोध कर सकता है। लेकिन महिला से जोर जबर्दस्ती नहीं की जा सकती है।




रेलवे ने 2018-19 को महिला सशक्तीकरण वर्ष घोषित किया है। इसमें महिला यात्रियों के लिए सुरक्षा, संरक्षा व सुविधा को बेतहर बनाया जाएगा। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी ने कई मोर्चों पर काम करने का फैसला किया है। इसमें अकेली महिला यात्री की सुरक्षा पुख्ता करने समेत कई उपाय किए जाने हैं।



रेलवे मैन्युअल के अनुसार, अकेले सफर कर रही महिला यात्री को टिकट न होने पर किसी भी स्टेशन पर नहीं उतारा जा सकता। इसके लिए टीटीई को जिला मुख्यालय के स्टेशन पर कंट्रोल रूम को पहले सूचित करना होता है। यहां से उसे दूसरी ट्रेन में टिकट के साथ बैठाने की जिम्मेदारी जीआरपी महिला कांस्टेबल की होती है। .