भ्रष्ट टीटीई के खिलाफ अभियान छेड़ने के फैसले पर रेलवे बोर्ड का यू-टर्न, यूनियन के दबाव में अपना आदेश वापस लिया
रेलवे को बेटिकट यात्रियों से रिश्वत लेकर उन्हें स्लीपर श्रेणी में यात्रा कराने संबंधी शिकायतें मिली थीं








रेलवे बोर्ड ने रेल यूनियन के दबाव में भ्रष्ट टिकट चेकिंग स्टाफ (टीटीई) के खिलाफ अभियान छेड़ने के फैसले पर यू-टर्न ले लिया है। रेलवे को बेटिकट यात्रियों से रिश्वत लेकर उन्हें स्लीपर श्रेणी में यात्रा कराने संबंधी शिकायतें मिली थीं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इसे गंभीरता से लिया। इसके बाद बोर्ड ने 19 जनवरी को विजीलेंस, आरपीएफ और वाणिज्यिक प्रबंधकों को सादी वेशभूषा में संयुक्त अभियान छेड़ने का आदेश जारी किया था। रेल कर्मियों की सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया रेलमेन्स फेडेरेशन (एआईआरएफ) के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने बताया कि उन्होंने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी से मुलाकात की।




लोहानी ने आदेश वापस लेने का आश्वासन दिया है। उधर, सूत्रों के अनुसार लोहानी के हस्तक्षेप के बाद रेलवे बोर्ड ने आदेश वापस ले लिया है। आदेश में स्लीपर कोच के यात्रियों से बात कर रिश्वत लेने वाले टीटीई का पता लगाने, टीटीई के रनिंग रूम एवं लॉबी में कठोर कार्रवाई से संबंधित नोटिस लगाने, शिकायत के लिए नंबर 155210 का व्यापक प्रचार-प्रसार करने और इस संबंध में अखबारों में विज्ञापन देकर यात्रियों को जागरूक करने को कहा गया था। इससे देशभर के टीटीई में हड़कंप मच गया और उनकी यूनियनों ने इसे वापस लेने का दवाब डालना शुरू कर दिया।




रेवेन्यू बढ़ाने के लिए टीटीई को नियम विरुद्ध काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा: रेल यूनियन

एआईआरएफ ने आरोप लगाया कि रेवेन्यू बढ़ाने के लिए अधिकारी टीटीई को स्लीपर क्लास में नियम विरुद्ध काम करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। रेलवे बोर्ड को 21 जनवरी को लिखे पत्र में महासचिव ने लिखा, रेलवे बोर्ड का आदेश है कि अगर कोई यात्री बिना टिकट यात्रा करते हुए पकड़ा जाए तो उसे अगले स्टेशन तक का टिकट जारी