लोको पायलट के इंजन पर ड्यूटी के दौरान सतर्क निगरानी के लिए अत्याधुनिक तकनीक का होगा इस्तेमाल
लोको में नाइट विजन कैमरा लगेगा और इसकी रिकार्डिग भी होती रहेगी
वह दिन दूर नहीं जब ट्रेन के चालक कैमरे की जद में होंगे। लोको चलाने के दौरान पायलट को झपकी आई तो अलार्म बज उठेगा। लोको पायलट के इंजन पर ड्यूटी के दौरान सतर्क निगरानी के लिए अत्याधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जाएगा। यह निगरानी वेबपोर्टल के जरिये जोनल रेलवे, आरडीएसओ और रेलवे बोर्ड द्वारा दिन-रात कभी भी की जा सकेगी।








इसके लिए लोको में नाइट विजन कैमरा लगेगा और इसकी रिकार्डिग भी होती रहेगी।रेल दुर्घटनाएं शून्य स्तर तक लाने के लिए ढेर सारे उपाय किए जा रहे हैं, ताकि ट्रेन संचालन पूरी तरह से सुरक्षित हो सके। इसकी क्रम में डीजल लोकोटिव कारखाना वाराणसी (डीएलडब्यूू) और अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) संयुक्त रूप से एक योजना पर काम कर रहा है। यह तकनीकी योजना वीडियो एवं वॉयस रिकॉर्डिंग एवं मॉनिटरिंग सिस्टम (एलसीवीआर) है। इस डिवाइस के जरिये लोको पायलट की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी और चूक होने की दशा में अलार्म बज जाएगा। डीएलडब्ल्यू में बनने वाले सभी रेल इंजनों में इस पण्राली को लगाने का फैसला किया गया है।

इसमें वीडियो कैमरों, माइक्रोफोन एवं वीडियो रिकॉर्डर और बाहर एक अलार्म भी होता है जो इंजन के कैबिन में लगाया जाएगा। एलसीवीआर इंजन में लोको पायलट एवं उसके सहायक के बीच के वार्तालाप को भी सुन एवं रिकॉर्ड कर सकेगा। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर अब हर लोकोमोटिव में इस पण्राली को लगाया जाएगा। जुलाई 2017 से इस पण्राली से लैस इंजन तैयार होने लगेंगे। इस कारखाने को 12 ऐसे लोकोमोटिव तैयार करने का आदेश मिला है।डीएलडब्ल्यू के अधिकारियों ने बताया कि इंजन में कुछ समय पूर्व आईटी आधारित एक समग्र ट्रेन प्रबंधन पण्राली भी लगाई गई है जिसे रैमलॉट कहा जाता है। इसमें दो पण्रालियां -लोकोमोटिव एंड ट्रेन मैनेजमेंट सिस्टम (एलटीएमएस) और लोकोमोटिव रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम (एलआरएमएस) होती हैं। रैमलॉट में दो सिम कार्ड (एक जीएसएम और एक सीडीएमए) होते हैं, जिसकी सहायता से ये रेलवे के एक केंद्रीय सर्वर से जुड़े होते हैं। रैमलॉट के माध्यम से इंजन का रियल टाइम डाटा एवं लोकेशन केंद्रीय कंट्रोल रूम की निगरानी में होता है।




इंजन में किसी पण्राली में कोई खराबी की संभावना के बारे में यह पहले से ही अलर्ट कर देता है। इस प्रकार से बीच रास्ते में इंजन फेल होने की घटनाओं पर नियंतण्रपाया जा सकता है। इस प्रकार से एलसीवीआर एवं रैमलॉट मिलाकर रेल इंजन में एक ऐसी पण्राली कायम होगी जो हवाई जहाज के ब्लैक बॉक्स जैसा ही काम करेगी। इसको अति सुरक्षित बनाया गया है।नहीं चलेगी ट्रेन : ट्रेन के लोको पायलट को नेचर कॉल आने के दौरान इंजन में टॉयलेट बनाने की योजान पर काम चल रहा है, लेकिन इसमें सुरक्षा के पहलुओं का ध्यान रखा जा रहा है। टॉयलेट बनाने में सबसे बड़ी बात यह है कि जब लोको पायलट में टॉयलेट में होगा इंजन नहीं चलेगा। इंजन बंद होने की दशा में पायलट टॉयलेट जा सकता है। इस तरह के पांच टॉयलेट इंजन में बनाने का काम चल रहा है। लोको में टॉयलेट डिजाइन के बारे में आरडीएसओ और भी सुरक्षा पहलुओं की जांच कर रहा है।




विद्युत इंजन का निर्माण शुरू : बदलते समय में साथ डीजल इंजन कारखाना वाराणसी में इलेक्ट्रिक इंजन बनाने का काम शुरू हो गया है। डीएलडब्ल्यू ने हर रोज एक इंजन बनाने का लक्ष्य हासिल किया है। गत वर्ष दो विद्युत इंजनों का निर्माण किया गया था। चालू वित्तीय वर्ष में 25 विद्युत इंजनों निर्माण किया जा रहा है और अगले वर्ष में 75 विद्युत इंजनों को निर्माण किया जाएगा।डीजल-विद्युत इंजनों का निर्माण शुरू : यहां डीजल और विद्युत दोनों ही ईधनों से चलने वाले दोहरे इंजनों का निर्माण शुरू कर दिया गया है। इससे यह फायदा होगा कि भविष्य में दोहरे ईधन वाले इंजनों की जरूरत भी डीएलडब्ल्यू पूरा करेगा।

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Source:- Rashtriye Sahara