Personal Finance
Reactivation of PRAN post exit from NPS
PENSION FUND REGULATORY AND DEVELOPMENT AUTHORITY
PFRDA/2015/19/CSG/1
Date: 30th June, 2015
All Central Government Ministries & Departments/ State Governments
PrAOs, PAOs, CDDOs, NCDDOs & other CG Nodal offices;
DTAs, DTOs, DDOs & other SG Nodal offices
Autonomous Bodies
Subject: Reactivation of PRAN post exit from NPS
PFRDA has been receiving requests from various government nodal offices to reactivate the PRANs for credit of missing NPS contributions, wherein withdrawal requests have already been settled towards final payment to the subscribers.
Currently, the exit process is initiated with the generation of claim ID six months prior to the date of superannuation. As per PFRDA Exit & Withdrawal Regulations 2015, the employee’s and employer’s contributions of last three months prior to superannuation shall not be uploaded in the NPS account but would be credited to the some other account of the subscriber, directly by the employer. During the withdrawal process which stretches over 6 months, both the subscriber and the nodal office have sufficient time to ensure and to confirm that all the missing contributions have been uploaded in the respective PRAN.
In light of the above, PFRDA shall not entertain any such request forthwith, for uploading contributions of arrears/ missing credits after final settlement of exit/ withdrawal of the subscribers and consequent closure of their NPS account. Henceforth, missing credits, if any, should be settled mutually between the subscriber and the Nodal office as per their internal administrative process and outside the NPS architecture, as is currently applicable to last three months contributions before superannuation in line with the guidelines issued by PFRDA in this regard.
Therefore, all government nodal offices are instructed to ensure uploading of all the pending contributions in the PRANs, before initiating/ processing/forwarding the withdrawal requests to the CRA and take necessary action as per this circular.
Ashish Kumar
General Manage
Download:- Reactivation of PRAN post exit from NPS
News Paper
अगले महीने शुरू हो सकती है इस सरकारी बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया, LIC को भी बेचने की तैयारी

30 जून तक केंद्र सरकार के पास IDBI बैंक में 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि एलआईसी (LIC) के पास 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. सरकार का कहना है कि वह विनिवेश प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में भारतीय
आईडीबीआई बैंक के विनिवेश प्रक्रिया अगले महीने शुरू हो सकती है. सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) मिलकर आईडीबीआई बैंक के विनिवेश (Disinvestment) में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच सकते हैं. आईडीबीआई बैंक में सरकार और एलआईसी की करीब 94 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में एक्सप्रेसन ऑफ इंटरेस्ट अक्टूबर तक मंगाई जा सकती है.
सीएनबीसी-टीवी18 ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. गौरतलब है कि CNBC-TV18 ने पहले बताया था कि सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम IDBI बैंक में 65 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बेच सकते हैं. 30 जून तक केंद्र सरकार के पास बैंक में 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि एलआईसी के पास 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. सरकार का कहना है कि वह विनिवेश प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से उचित सावधानी बरतने की मांग करेगी.
विनिवेश में नहीं है बड़ी अड़चन
आईडीबीआई के विनिवेश प्रक्रिया में कोई बड़ी अड़चन नहीं है. 15 वर्षों में हिस्सेदारी कम करने की योजना पेश करने पर प्रोमोटर होल्डिंग पर कोई सीमा नहीं है. हालांकि, विनिवेश के लिए 26 प्रतिशत वोटिंग राइट्स की सीमा लागू होगी. केंद्र सरकार ने 2021 के बजट में IDBI बैंक से बाहर निकलने की घोषणा की थी. पहले सरकार ने मई 2022 में एक्सप्रेसन ऑफ इंटरेस्ट मंगाने की योजना बनाई थी, लेकिन यह योजना सिरे नहीं चढ़ी.
8 फर्टिलाइजर कंपनियों का होगा विनिवेश
केंद्र सरकार ने सरकारी कंपनियों के विनिवेश प्रक्रिया को तेज कर दिया है. उर्वरक निर्माण में लगी 8 सरकारी कंपनियों के निजीकरण को नीति आयोग की बैठक में हरी झंडी मिल गई है. यह बैठक तीन सप्ताह पहले हुई थी. सीएनबीसी-आवाज़ की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय केमिकल फर्टिलाइजर (RCF), नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (NFL) और फर्टिलाइजर एंड केमिकल त्रावणकोर लिमिटेड (FACT) सहित 8 फर्टिलाइजर कंपनियों के रणनीतिक विनिवेश की सरकार ने पूरी तैयार कर ली है.
सार्वजनिक उद्यम विभाग ने भी इन कंपनियों के विनिवेश की सिफारिश की है. राष्ट्रीय केमिकल फर्टिलाइजर (RCF) में सरकार की 75 प्रतिशत, नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (NFL) करीब 74 प्रतिशत और फर्टिलाइजर एंड केमिकल त्रावणकोर लिमिटेड (FACT) में सरकार की 90 फीसदी हिस्सेदारी है.
Personal Finance
महंगाई भत्ते के बाद इस वजह से बढ़ेगा केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एकबार फिर अच्छी खबर है। महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) में 3 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बंपर बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो गया है। डीए (DA) में बढ़ोतरी के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के कई भत्ते में बढ़ोतरी होने वाली है।
डीए बढ़ने से ट्रैवल अलाउंस (Travel Allowance) और सिटी अलाउंस (City Allowance) भी बढ़ जाएंगे। इसके साथ ही प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) और ग्रेच्युटी (Gratuity) भी खुद-ब-खुद बढ़ जाएंगे। दरअसल केंद्रीय कर्मचारियों का मासिक पीएफ और ग्रेच्युटी की गणना बेसिक सैलरी और डीए से होती है। ऐसे में डीए के बढ़ने से पीएफ और ग्रेज्युटी भी बढ़ना तय है।
इतना ही नहीं डीए बढ़ने से केंद्रीय कर्मचारियों के हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और ट्रैवल अलाउंस (TA) में भी बढ़ोतरी होगी। बताया जा रहा है कि ये बढ़ोतरी 3 फीसदी तक हो सकती है।
आपको बात दें कि केंद्र सरकार ने 30 मार्च को कंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ता (DA) में 3 फीसदी का इजाफा किया। इससे केंद्रीय कर्मचारियों का डीए 9 महीने में बढ़कर दोगुना हो गया। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को अब 34 फीसदी के हिसाब से डीए और डीआर मिलेगा। केंद्र सरकार इस ऐलान से 50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा। हालांकि इससे सरकार पर सालाना 9544.50 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा।
इस बीच केंद्रीय कर्मचारी संगठन सरकार पर बकाए एरियर के लिए लगातार दवाब बना रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि सैलरी और अलाउंस कर्मचारियों का हक है और इसे रोका नहीं जा सकता। ऐसे में पर जनवरी 2020 से जून 2021 तक के बकाए डीए एरियर देने का दवाब है। ऐसे में केंद्रीय कर्मचारियों के डीए एरियर को लेकर भी अच्छी खबर सुनने को मिल सकती है।
Personal Finance
वेतन बढ़ा है यां फिर बढ़ने वाला है तो अभी से ऐसे करें टैक्स प्लानिंग, वरना बढ़ी सैलरी का बड़ा हिस्सा जा सकता है सरकारी खजाने में!

Tax Saving Tips: अधिकतर कंपनियां अपने कर्मचारियों का इनक्रिमेंट कर चुकी हैं। इनक्रिमेंट के बाद आपकी सैलरी तो बढ़ती ही है, यह भी समझना जरूरी है कि आप पर टैक्स का बोझ भी बढ़ता है। ऐसे में अप्रैल के महीने यानी वित्त वर्ष की शुरुआत से ही टैक्स प्लानिंग (Tax Planning) शुरू कर देनी चाहिए। आइए जानते हैं आप किन-किन योजनाओं में निवेश (Tax Saving Schemes) कर सकते हैं, जिससे आपका काफी पैसा टैक्स में जाने से बच सकता (Tax Free Investments) है।
नया वित्त वर्ष शुरू हो चुका है। अधिकतर कंपनियों में इनक्रिमेंट का काम भी पूरा हो चुका है। कुछ ऐसी भी कंपनियां होंगी, जिन्होंने अपने कर्मचारियों को इनक्रिमेंट के बारे में बता भी दिया होगा। इस इनक्रिमेंट के साथ ही बहुत से ऐसे भी लोग होंगे, जिनकी सैलरी बढ़ने की वजह से अब वह टैक्स के दायरे में आ रहे होंगे। ऐसे में टैक्स सेविंग के तरीके समझना बहुत जरूरी है, ताकी आपकी मेहनत की कमाई यूं ही टैक्स में ना चली जाए। वैसे तो अधिकतर लोग यह सोचते हैं कि अभी तो शुरुआत है, बाद में टैक्स प्लानिंग (Tax Calculation) की सोचेंगे। ऐसे लोग अक्सर आखिरी वक्त में टैक्स प्लानिंग (Tax Planning) नहीं कर पाते हैं और नतीजा ये होता है कि उन्हें अधिक टैक्स चुकाना पड़ जाता है। यानी हो सकता है कि आपका जितना इनक्रिमेंट हुआ हो, वह पैसे आपके हाथ आने के बजाय टैक्स के रूस में सरकारी खजाने में जा पहुंचें। आपके लिए जरूरी है कि आप इसी महीने से टैक्स प्लानिंग शुरू कर दें, ताकि बाद में दिक्कत ना हो। आइए आपको बताते हैं कि आप किन-किन तरीकों (Tax Saving Schemes) से टैक्स बचा (Tax Free Investments) सकते हैं।
1- एंप्लॉईज़ प्रोविडेंट फंड
एंप्लॉईज़ प्रोविडेंट फंड (Employee’s Provident Fund) यानी ईपीएफ (EPF) में बाकी निवेशों से अधिक रिटर्न मिलता है, वो भी गारंटी के साथ। हाल ही में इसके रिटर्न में कटौती की गई है, जिसके बाद यह 8.1 फीसदी रह गया है, लेकिन अभी भी यह सबसे अधिक है। अभी तक ईपीएफ पर 8.5 फीसदी की दर से रिटर्न मिलता था। ईपीएफ में निवेश पर 80सी के तहत टैक्स छूट भी मिलती है। हालांकि, इसमें सिर्फ वही लोग निवेश कर सकते हैं जो नौकरीपेशा हैं। इसके लिए आपको अपनी कंपनी को बताना होगा कि आप ईपीएफ में योगदान बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि कंपनी की तरफ से 12 फीसदी और आपकी तरफ से 12 फीसदी ईपीएफ तो कटता ही है।
2- पीपीएफ में निवेश है शानदार विकल्प
टैक्स प्लानिंग का ये बहुत ही अच्छा टूल होता है। PPF खाते को बैंक और पोस्ट ऑफिस में खुलवाया जा सकता है। PPF में हर साल कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है। PPF का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल होता है। पीपीएफ खाता खोलने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि इसमें किया जाने वाला डिपॉजिट, मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर मिलने वाला पैसा तीनों पर टैक्स से छूट है। पीपीएफ पर 7.1 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है। ये दर तिमाही आधार पर तय होती है, जो बदल भी सकती है।
3- यूनिट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट प्लान
यूनिट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट प्लान (Unit Linked Investment Plans) यानी यूलिप (ULIPs) एक ऐसा निवेश है, जिसमें इंश्योरेंस का भी फायदा मिलता है। इसमें आपको 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक पर टैक्स छूट मिलती है। हालांकि, ध्यान रखने की जरूरत है कि बजट की घोषणाओं के अनुसार अगर यूलिप के तहत सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक होता है तो उस अतिरिक्त प्रीमियम पर टैक्स लगेगा। यह वैसे ही होगा जैसे 1 लाख से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। अगर आप सिर्फ रिटायरमेंट के लिए यूलिप में निवेश कर रहे हैं तो आप इससे बेहतर विकल्प चुन सकते हैं, ताकि आपको अधिक टैक्स का फायदा मिले।
4- अटल पेंशन योजना है बड़े काम की
अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojana) में ना केवल आप कम राशि जमा करवाकर हर माह ज्यादा पेंशन (Pension) के हकदार हो सकते हैं, बल्कि असामयिक मृत्यु की दशा में अपने परिवार को भी इसका फायदा दिलवा सकते हैं। अटल पेंशन योजना का लाभ उठाने के वाले व्यक्ति की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। अटल पेंशन योजना के लिए आपको बहुत कम प्रीमियम देना होगा। यदि आप 18 साल के हैं और हर महीने 1,000 रुपये का पेंशन लेना चाहते हैं तो इसमें हर महीने महज 42 रुपए ही जमा कराने होंगे। यदि पेंशन 5,000 रुपये महीने लेना है तो प्रति माह 210 रुपए प्रीमियम जमा कराना होगा। यदि राशि उम्र के साथ बढ़ती जाएगी। इसमें निवेश पर आपको आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट भी मिलती है।
5- नेशनल पेंशन स्कीम में भी लगा सकते हैं पैसे
नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme) का रेग्युलेशन पेंशन फंड रेग्युलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी की ओर से किया जाता है। इस स्कीम में आपको 60 साल की आयु तक इन्वेस्ट करना होता है। इसके बाद आपको लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से हर साल जमा की गई 40 फीसदी रकम से एक राशि मिलती है, जबकि बाकी हिस्से को आप निकाल सकते हैं। एनपीएस के तहत निवेश की गई रकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है, लेकिन इससे आपको मिलने वाली सालाना वृत्ति पर जरूर टैक्स लगता है।
6- सुकन्या समृद्धि योजना से संवरेगा बेटी का भविष्य
बच्चियों का भविष्य आर्थिक तौर पर सुरक्षित हो, इसके लिए सरकार ने 2015 में सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana) की पेशकश की थी। इस योजना के तहत 10 साल से कम उम्र की बच्ची का खाता खुलवाया जा सकता है, जो कि पोस्ट ऑफिस या किसी भी बड़े बैंक में आसानी से खुल जाता है। वैसे तो स्कीम के अंतर्गत अधिकतम दो बच्चियों का ही खाता खुल सकता है, लेकिन कुछ विशेष मामलों में 3 बच्चियों का खाता भी स्कीम के तहत खुल सकता है। सुकन्या समृद्धि खाते को मिनिमम 250 रुपये में खुलवाया जा सकता है और एक वित्त वर्ष में मिनिमम जमा 250 रुपये और मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये तय की गई है।
7- प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के फायदे भी जान लीजिए
पीएमवीवीवाई (Pradhan Mantri Vay Vandana Scheme) का क्रियान्वयन जीवन बीमा निगम (LIC) के जरिये किया जाता है। इसमें नागरिकों के लिए एक स्कीम है, जिसके तहत मासिक पेंशन मिलती है। इस स्कीम के तहत वरिष्ठ नागरिकों को 10 साल तक एक तय दर से गारंटीड पेंशन मिलती है। मोदी सरकार की इस स्कीम का फायदा भारतीय जीवन बीमा निगम के जरिए उठाया जा सकता है। इसमें सालाना 7.40 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है। यही वजह है कि अब तक करीब 6.28 लाख लोग इस स्कीम का लाभ ले भी चुके हैं। यह स्कीम वरिष्ठ नागरिकों के लिए है। इसका फायदा उठाने के लिए उम्र कम से कम 60 साल होनी चाहिए और अधिकतम उम्र की कोई सीमा नहीं है। हां ये जरूर है कि इस स्कीम के तहत एक शख्स अधिकतम 15 लाख रुपये ही निवेश कर सकता है। इसमें निवेश करने वाले लोगों कम से कम 1000 रुपये और अधिकतम 9,250 रुपये की पेंशन मासिक पेंशन मिलती है।
8- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना से भी होगा फायदा
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (Pradhan mantri Jeevan Jyoti Bima) एक टर्म इंश्योरेंस प्लान है। इसमें निवेश के बाद अगर व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को 2 लाख रुपये मिलते हैं। मोदी सरकार ने 9 मई 2015 को इस योजना की शुरुआत की थी। अगर आप चाहें तो इसमें पैसे लगाकर टैक्स का फायदा लेने के साथ-साथ अपने परिवार का ख्याल रख सकते हैं।
9- नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में भी लगा सकते हैं पैसे
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (National Savings Certificate) यानी एनएससी (NSC) एक ऐसा टूल है, जिसमें निवेश कर के आपका पैसा तो बढ़ता ही है, साथ ही आपको टैक्स में भी फायदा मिलता है। वहीं सरकार की तरफ से एनएससी में किए गए निवेश पर ब्याज भी काफी अच्छा मिलता है। इसकी सबसे अच्छी बात ये है कि ये सरकारी स्कीम होती है, तो आपका निवेश एकदम सुरक्षित रहेगा। इसमें निवेश करने के लिए आप किसी भी पोस्ट ऑफिस में जाकर निवेश कर सकते हैं। इसका मैच्योरिटी का समय 5 साल का होता है और इसमें किए गए निवेश पर 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक पर टैक्स छूट भी पाई जा सकती है।
10- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से मिलेगा सस्ता सोना
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत सरकार की तरफ से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds) जारी करता है। रिजर्व बैंक की तरफ से ग्राम के हिसाब से गोल्ड बॉन्ड जारी होता है। निवेशक इसमें पैसा लगा सकते हैं और मैच्योरिटी के बाद उसे भुना सकते हैं। बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर कोई मेकिंग चार्ज या शुद्धता को लेकर चार्ज नहीं लगता है। ये बॉन्ड डीमैट अकाउंट में रखे जा सकते हैं और इस पर टीडीएस भी नहीं कटता है।
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